संत तुलसीदास पीजी कालेज–भाग-2 (सम्बद्ध अवध विश्वविद्यालय) मगर कुलपति साहेब आप तो कछु करेगे नहीं, कही आपका वरदहस्त तो नहीं

★भ्रष्टाचार्य की गोद में खिलखिला रहे कई चेहरे….

★प्राचार्य साहब की मेहरबानी-बिना डिग्री चपरासी बना लाइब्रेरियन…

★सांसद वरुण गांधी के प्रतिनिधि भाजपा के कद्दावर नेता के महाविद्यालय में मची है अनियमितता, नेता जी शांत है।

★ प्रबंधक और अध्यक्ष के बीच पारिवारिक विवाद का फायदा उठाते है प्राचार्य डॉ अरविंद पाण्डेय- सूत्र


सुल्तानपुर।  डॉ.राम मनोहर लोहिया  अवध विश्विद्यालय से सम्बंधित संत तुलसीदास पी.जी.कॉलेज में वर्तमान में  लिब्रेरियन का पद डॉ.हरेन्द्र सिंह संभाले हुए है। आप को बता दे कि डॉ.हरेन्द्र सिंह वर्ष 1988 से वर्ष 2008 तक इसी कॉलेज में चौकीदार के पद पर कार्यरत रहे। चौकीदार की ये नौकरी डी ग्रेड की श्रेणी में आती है।
2008 के अंत में हरेन्द्र सिंह के सितारे चमक उठे उसी कॉलेज के प्राचार्य के निग़ाहें करम और विशेष आशीर्वाद से हरेन्द्र सिंह को लाइब्रेरियन के पद पर नियुक्त किया गया और बी ग्रेड की नौकरी का पद भार संभाल लिया। अब प्रश्न तो तब उठेगा जब आप जानेगे कि  ये चौकीदार भी पूर्णकालिक पद पर थे और लिब्रेरीयन भी पूर्णकालिक पद पर है। अब मेरे मन में तो सवालो की बौछार बहुत हो रही है पर सवालो की आग बुझाने वाला कोई नही है। सवाल ये है कि…


पहला सवाल-लाइब्रेरियन की शैक्षणिक योग्यता एम.ए. (लाइब्रेरी साइंस) होनी चाहिए जो की ये महाशय नही है फिर इनकी नियुक्ति कैसे हो गयी।


दूसरा सवाल-ये चौकीदार पुरानी पेंशन योजना के अंतर्गत थे। ये पेंशन योजना 2005 में समाप्त हो गयी।अर्थात 2008 में इन्होंने चौकीदार पद से इस्तीफा दिया होगा क्यों की चौकीदार से पदोन्नति लाइब्रेरियन की नही होती तो इसका मतलब यह एक साथ दो लाभ प्राप्त कर रहे है।

तीसरा सवाल-इन्होंने नौकरी करते हुए पी.एच.डी. के एन आई से कैसे कर ली। ये पढ़ाई कब करते थे। क्यों की इनकी पी.एच.डी. 2009-2012 के सत्र की है।
अभी ये कहानी या लेख यहाँ खत्म नही हुआ है। यहाँ पर बहुत से लोग ऐसे है जो भ्रष्टाचार की गोद में किलकारियाँ मार रहे है। बात करते है कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अरविंद पाण्डेय की, जिन पर पहले भी कई आरोप अनियमियतताओ लग चुके है मगर जो धनबल के साथ बाहुबल का जो उपयोग करे वो अपने सामने किसी को  नही टिकने देगा। चर्चाओ के अनुसार डॉ.अरविंद पाण्डेय ने कुछ ऐसा ही किया। जिससे इन पर लगे सारे आरोप ठण्डे बस्ते में चले गये।
अब बात करते है सौरभ त्रिपाठी की जो कॉलेज के मैनेजर है प्रिंसिपल डॉ अरविंद पाण्डेय के इशारो पर नाचना इनकी मज़बूरी है। ये प्रिंसिपल की अनियमितताओं का साथ इसलिए देते है क्यों सूत्र बताते है की प्रिंसिपल ने इनको डराया धमकाया है की “अगर तुमने मेरे विरुद्ध कोई कदम उठाया तो मैं तुम्हारी प्रबंध समिति बंद करवा दूँगा”

बात करते है ओम प्रकाश पाण्डेय की जो कॉलेज के अध्यक्ष है और भाजपा के  बलशाली नेता है और सुल्तानपुर के सांसद वरुण गाँधी के प्रतिनिधि भी है। इस पुरे मामले और महाविद्यालय प्रकरण की इनको पूरी जानकारी है। पर सवाल पूछने पर नो कमेंट कहकर पीठ दिखाते है। शायद ये इनका राजनैतिक पैतरा ही होगा कि साहेब खुद को एकदम असहाय साबित कर दे और होता रहे मैदान पर हर चौके पर छक्का। भले कोई कुछ भी कहे मगर इन्होंने दिमाग से राजनैतिक चाल चली और वर्ष 2012 में प्राचार्य के विरुद्ध जाँच कमेटी बनाया। अब ध्यान देने योग्य यहाँ यह है कि ये जाँच कमेटी बस दिखावटी थी आज तक काम शुरू ही नही हुआ। कहा जाता है प्राचार्य को इनका मौन समर्थन प्राप्त है।
वर्ष 2015 में तत्कालीन जिलाधिकारी कुमारी अदिति सिंह एक समाचार पर  संज्ञान लेते हुए ज़िला विद्यालय निरीक्षक से जाँच करवाने का आदेश दिया था। जांच शुरू भी नहीं हुई कि अदिति सिंह का ट्रांसफर हो गया। चर्चाओ और प्राचार्य के महाविद्यालय में अपनी वाहवाही में कहा कि पैसों की मोहमाया ने ज़िला विद्यालय निरीक्षक को फ़र्ज़ से भटका दिया। सूत्रों के अनुसार प्रिंसिपल के इशारों पर सब कुछ मैनेज कर लिया गया और अदिति सिंह का स्थानांतरण हो गया। और प्रिंसिपल कॉलर खड़ी कर कहते सुना गया कि उन्होंने सब कुछ मैनेज कर लिया।

भाइयो आजकल पत्रकारों की जान जोखिम में है जहाँ देखो वहां पत्रकारों की जान लेने पर तुले है ये बाहुबली और दबंग। इनके हाथो की कठपुतली बने रहो तो पैसों से जेब भी भरी रहेगी और अगर जहाँ इनके काले कारनामो की गठरी खुली और सच सामने आया वहाँ जान आफत में आयी।
मैं तो कलमकार हूँ जान हथेली पर रखकर लिखता हूँ सच को सामने लाना मेरा काम है और मेरा फ़र्ज़ भी। ये भी सच सामने लाया हु, मगर डर कर नहीं डंके के चोट पर सीना तान कर खड़ा हु। हम डरते नहीं साहेब, मौत से अपना याराना ही ऐसा है आज नहीं तो कल आना ही आना है।

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