350 टन का पाषाण बनेगा भगवान शांतिनाथ। उत्तर भारत में अजमेर में पहली होगी प्रतिमा।
13 जून को अजमेर के नाकामदार स्थित श्री जिन शासन तीर्थ क्षेत्र में जैन आचार्य वसुनंदी महाराज के सान्निध्य में 350 टन वजन के पाषाण की पूजा का कार्यक्रम हुआ। इस मौके पर जैन समाज के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इस ऐतिहासिक और धार्मिक महत्त्व के समारोह में मैं मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित हुआ। मैं उन सभी आयोजकों का आभारी हंू जिन्होंने मुझे इस ऐतिहासिक अवसर पर आमंत्रित किया। इसमें कोई दो राय नहीं 13 जून का दिन अजमेर के लिए न केवल ऐतिहासिक बन गया, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी खास रहा। और जब तपस्वी साधु, संत, विद्वान, आचार्य, वसुनंदी महाराज का आशीर्वाद हो तो फिर श्री जिन शासन तीर्थ क्षेत्र की भूमि तो पवित्र होगी ही। कोई कल्पना कर सकता है कि धरती के अंदर से 350 टन वजन और 54 फीट लम्बा व कोई 25 फीट चौड़ा पत्थर एकजुट निकाला जाए। लेकिन आचार्य वसुनंदी महाराज के अशीर्वाद से राजस्थान की बिजौलिया खादान से ऐसा चत्मकारीक पत्थर निकाला गया है। इस पत्थर को निकालने में इंजीनियर को तीन वर्ष का समय लग गया। दो बार तो खदान में ही पत्थर में दरार आ गई। इसे धर्म के प्रति आस्था ही कहा जाएगा कि श्री जिन शासन क्षेत्र से जुड़े लोगों ने तब तक हार नहीं मानी, जब तक धरती के अंदर से मन मुताबिक पत्थर बाहर नहीं आया। 13 जून को जैन समाज के हजारों स्त्री-पुरुष इससे खुश थे कि आखिर वो पाषाण आ ही गया। सम्पूर्ण उत्तर भारत में अजमेर पहला जैन तीर्थ स्थल होगा, जहां इतने बड़े पाषाण से बनी भगवान की प्रतिमा विराजमान होगी। जिन स्थानों पर पूर्व में ऐसी प्रतिमाएं लगी हुई है, वहां किसी पहाड़ी को तराश कर प्रतिमा का रूप दिया गया है। 120किमी दूर बिजौलिया की खदान से 350 टन का पाषाण अजमेर में ही लाया गया है। जिस बड़े ट्रेलर में इस पाषाण को रखा गया, उसमें कुल मिलाकर 150 टायर लगे हुए हैं। 120 किमी की दूरी पांच दिनों में तय की गई। ट्रेलर के मालिक ने सभी टायर नए लगाए, लेकिन इसके बावजूद भी 25 टायर खराब हो गए।
श्री जिनशासन तीर्थ क्षेत्र से जुड़े अजय दनगसिया और विनीत जैन ने बताया कि इस पाषाण से 51 फीट ऊंची भगवान शांतिनाथ की प्रतिमा बनाई जाएगी। इसके लिए देश के सुविख्यात शिल्पकारों को अजमेर बुलाया गया है। योजना के मुताबिक करीब एक वर्ष में पाषाण को प्रतिमा का रूप दे दिया जाएगा। इसके साथ ही क्षैत्र में 24 जैन तीर्थंकरों की प्रतिमा भी लगेगी। एक प्रतिमा की ऊंचाई 11 फीट है। 13 जून को पाषाण पूजन के कार्यक्रम में आचार्य वसुनंदी ने कहा जिन कठनाईयों से इतना बड़ा पाषाण लाया गया है, उसका फल तब मिलेगा जब इस पाषाण में स्वयं भगवान शांतिनाथ आकर विराजमान हो जाएंगे। और जब भगवान शांतिनाथ स्वयं आएंगे तो अजमेर की धरती पवित्र हो जाएगी। भगवान शांतिनाथ सबकी मनोकामना पूरी करने वाले हैं। आज जिन लोगों ने इस पाषाण की पूजा की है,उनकी भी मनोकामना पूरी होगी। उन्होंने जिनशासन तीर्थ क्षेत्र से जुड़े जैन प्रतिनिधियों से कहा कि वे आपसी मतभेद भूला कर जल्द से जल्द इस पाषाण में भगवान शांतिनाथ को विराजमान करवाएं।