सुल्तानपुर (कादीपुर) थानेदार साहेब कब मिलेगी 11 मई के अपहृत किशोरी।
■ दो माह से अधिक समय से लगा रहा पीड़ित परिवार कोतवाली का चक्कर।
■ पीड़ित परिवार का आरोप – 11 मई को अपहृत हुई किशोरी की रिपोर्ट दर्ज करवाने को एक माह लगाया पीड़ित परिवार ने थाने का चक्कर।
■ पीड़ित परिवार का आरोप, जब कही आत्महत्या कर लेने की बात तब हुई दर्ज ऍफ़आईआर।
■ पीड़ित परिवार का आरोप कि अपराध पंजीकृत करने के पहले बदलवाया गया प्रार्थना पत्र।
सुल्तानपुर। प्रमोद दुबे के साथ हरिशंकर सोनी की रिपोर्ट।
कहा जाता है कि इन्साफ पाना सबके बस की बात नहीं है। शायद इन्साफ पाने के लिए आपको दर दर भटकना भी पड़ सकता है। इसकी एक नज़ीर सुल्तानपुर ज़िले के कादीपुर कोतवाली में सामने आ रही है। पीड़ित पक्ष अपनी अपहृत नाबालिग बेटी को वापस सही सलामत पाने के लिए लगभग रोज़ ही कादीपुर कोतवाली का चक्कर लगा रहा है, पीड़ित परिवार का आरोप है कि न्याय की उम्मीद में हमको मिल रहा है केवल आश्वासन। इस आश्वासन के बुनियाद पर एक नाबालिग किशोरी खतरे में है।
घटना के सम्बन्ध में पीड़ित परिवार के रामआसरे यादव ने बताया कि उनकी नाबालिग बेटी संजू (परिवर्तित नाम) को दिनाक 11-05-16 को स्कूल से आते समय अपहरण कर लिया गया था। इसके सम्बन्ध में उनके द्वारा दिनाक 12 मई 2016 को कादीपुर कोतवाली में इस संबंध में एक नामजद प्रार्थना पत्र लिखित दिया। पीड़ित परिवार के बयानों को माने तो उस दिन से लेकर 12 जून तक लगातार परिवार थाने का चक्कर लगाता रहा मगर उसकी शिकायत पंजीकृत नहीं हुई। अंततः परिवार थाने पर 12 जून को धरने पर बैठ गया और मुकदमा पंजीकृत न होने पर आत्महत्या कि बात कहने लगा।
इस पर तत्कालीन थानाध्यक्ष ने आनन् फानन में 12 जून अर्थात एक माह बाद उसका मुकदमा शाम 6:30 पर अपराध संख्या 290/2016 पंजीकृत किया। इस प्रकरण में एक अन्य अहम बात यह है कि कादीपुर पुलिस आज मुकदमा पंजीकृत हुवे एक माह से अधिक होने आया मगर अभी तक आरोपियों को नही पकड़ पायी है। पीड़ित पक्ष को विवेचना के नाम पर सांत्वना ही दी जा रही है। पीड़ित ने हमको बताया कि विवेचक महोदय हर बार केवल यही कहते है कि मोबाइल लोकेशन मिल गया है कल पकड़ लेंगे।
पीड़ित पक्ष का कहना है की लड़की का अपहरण किया गया, पर पुलिस वाले ये कह रहे है की लड़की को बहला फुसलाकर ले जाया गया जिसमे लड़की की मर्ज़ी शामिल थी। पीड़ित पक्ष का कहना है कि बंटी व अतुल पुत्रगण भरतराज पाठक व कमलेश व छोटू पुत्रगण स्व. भगवान दीन यादव व महेश व पीड़ित के सगे भाई हरिहर यादव आदि के साथ लड़की का अपहरण जान से मारने की नियत से किया है।
जो भी हो अगर पीड़ित परिवार के आरोपो को आधार माना जाय तो फिर पुलिस की कार्यप्रणाली सवालो के घेरें में है। आखिर ऐसी कौन सी समस्या है जो एक माह तक पीड़ितों की शिकायत पंजीकृत नहीं हुई। जो भी हो इस प्रकरण में आज अपराध हुवे 2 माह से अधिक गुज़र चूका है मगर अपराध का खुलासा न होना भी कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है।
(पीड़ित परिवार के बयान के आधार पर, पीड़ित परिवार ने हमको एक प्रार्थना पत्र 12 मई 2016 का उपलब्ध करवाया है जिसका दावा किया गया कि इसको घटना के दूसरे दिन तत्कालीन थानाध्यक्ष को प्रदान किया गया था।)