15 अगस्त तक सक्रिय हो जायेंगे सभी गन्ना बीज शोधन प्लांट।

नूर आलम वारसी।।शरदकालीन गन्ना बुआई के लिए शत-प्रतिशत बीजों का होगा शोधन।

बहराइच : आगामी शरदकालीन गन्ने की फसल को रोग मुक्त रखने में गन्ना बीज शोधन के महत्व को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश के सभी 239 एमएचएटी प्लान्टों को 15 अगस्त 2016 तक सक्रिय कराये जाने के निर्देश जारी किये गये हैं। प्रदेश में गन्ने की खेती और अधिक लाभप्रद बनाये जाने के लिए शासन स्तर पर यह भी निर्णय लिया गया है कि शरदकालीन गन्ना बुवाई में कम से कम 40 प्रतिशत अगेती प्रजाति के साथ साथ न्यूनतम 10 प्रतिशत ट्रैंच विधि से बुवाई कराये जाने, पेड़ी प्रबन्धन पर विशेष ध्यान देने तथा गन्ने की उपज के साथ सहःफसली खेती को भी अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जायेगा। सहःफसली खेती की विशेषता यह है कि इससे न केवल भूमि की उर्वरता बढ़ती है बल्कि किसान को अतिरिक्त आय भी होती है इस प्रकार गन्ने के साथ सहफसली खेती किसानों के लिए अत्यन्त ही लाभदायक है।

प्रदेश के गन्ना आयुक्त विपिन कुमार द्विवेदी की ओर से निर्देश दिये गये हैं कि प्रजातीय संतुलन बनाये रखने के लिए प्रत्येक मिल क्षेत्र में स्वीकृत एवं अधिक उपज देने वाली शीघ्र/सामान्य प्रजातियों का आच्छादान बढ़ाये जाने के साथ ही शीघ्र प्रजातियों को कुल गन्ना क्षेत्रफल के 40 प्रतिशत के स्तर पर लाया जाय। उन्होंने परिक्षेत्रवार ट्रैंच विधि से गन्ना बुवाई को बढ़ावा देने तथा प्रत्येक स्तर पर पर्यवेक्षण कराये जाने के भी निर्देश दिये हैं। विभागीय अधिकारियों से कहा गया है कि जिन क्षेत्रों में पेड़ी गन्ने में यूरिया का छिड़काव कम है तो उसे मानक के अनुरूप लाया जाय तथा ड्रिप सिंचाई को भी बढ़ावा दिया जाय तथा विभागीय योजनाओं को लाभ अधिकाधिक कृषकों तक पहुचाये जाने के लिए यूपीएजीआरआईसीयूएलटीयूआरई डाट काम पर पंजीकृरण भी कराया जाय। 
प्रदेश के गन्ना आयुक्त ने यह भी बताया कि बीज गन्ना एवं गन्ना प्रजाति स्वीकृति उप समिति की बैठक में खेती के लिए उपयुक्त एवं किसानों के लिए लाभकारी पाये जाने पर गन्ने की 4 नई प्रजातियों को अंगीकार किया गया है। जिनमें से को. 05009 (शीघ्र), को.पी.के. 05191 (शीघ्र), तथा को.ह. 128 (मध्य देर) को पश्चिमी एवं मध्य उत्तर प्रदेश तथा एक किस्म को.से. 01421 (शीघ्र) को पूर्वी उत्तर प्रदेश में खेती के लिए स्वीकृत किया गया है। नई शामिल की गयी 4 प्रजातियों को सम्मिलित करते हुए किसानों के लिए स्वीकृत प्रजातियों की संख्या 54 हो गयी है जिनमें से 26 अगेती व 28 मध्य देर से पकने वाली प्रजातिया हैं। 
गन्ना आयुक्त ने भी बताया कि प्रधान मंत्री फसल बीमा योजनान्तर्गत अन्य फसलों की तरह गन्ना फसल को भी ग्राम पंचायत स्तर पर अधिसूचित किया गया है। बीमा योजना अन्तर्गत कम से कम 20 हेक्टेयर गन्ना क्षेत्रफल वाली ग्राम पंचायतों को अधिसूचित किया गया है। ऋणी और गैर ऋणी किसान बीमा योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को होने वाले आर्थिक नुकसान से बचाने में यह योजना अत्यन्त कारगर सिद्ध होगी। 
आयुक्त ने सभी विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया है कि गन्ना कृषकों को फसली ऋण प्रदान करने वाले बैंकों से सम्पर्क कर यह सुनिश्चित करें कि जनपद के सभी ऋणी किसानों की फसल का बीमा अवश्य हो जाय। विभागीय अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया गया है कि योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार करते हुए सभी ऋणी व गैर ऋणी किसानों को फसल बीमा योजना का लाभ दिलाना सुनिश्चित करें।
प्रदेश के गन्ना आयुक्त ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनान्तर्गत जनपद मुज़फ्फर नगर, गौतमबुद्ध नगर, हापुड़, कासगंज, मथुरा, बरेली, पीलीथीत, रामपुर, रामनगर, कानपुर नगर, फतेहपुर, वाराणसी, गाज़ीपुर, जौनपुर, मऊ, देवरिया, कुशीनगर, बसती, रायबरेली, सीतापुर, सुल्तानपुर, बाराबंकी व बलरामपुर के लिये किसानों द्वारा दी जाने वाली प्रीमियम दर बीमित राशि का 1 प्रतिशत होगी। अन्य जनपदों के लिए प्रीमियम की दर 1.5 प्रतिशत से लेकर 5 प्रतिशत तक है। इससे अधिक प्रीमियम राशि का वहन राज्य व केन्द्र सरकार द्वारा बराबर-बराबर किया जायेगा। गन्ने की फसल के लिए ऋण लेने वाले ऋणी कृषकों का शत प्रतिशत बीमा ऋण प्रदाता संस्था द्वारा किया जायेगा तथा गैर ऋणी कृषकों को भी बीमा कराने के लिए विभाग द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा है। 
उल्लेखनीय है कि गत् वर्ष गन्ने की फसल पर लागू राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना अन्तर्गत प्रदेश में 62225 किसानों का बीमा कराया गया था तथा 693 लाभार्थी किसानों को रू. 47.09 लाख की क्षतिपूर्ति भी करायी गयी थी।

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