दलितों,अल्पसंख्यकों और महिलाओं पर बढ़ते आपराधिक मामलों और अत्याचार के विरोध में साझा संस्कृति मंच का धरना
मुहम्मद राशिद
वाराणसी। दिनांक 27-07-2016 को शास्त्री घाट, वरूण पुल पर दिन में 10 बजे से साझा संस्कृति मंच का एक धरना आयोजित हुआ। उक्त धरना देश में दलितों आदिवासियों और महिलाओं पर लगातार बढ़ते अत्याचार के विरोधस्वरूप आयोजित किया गया । धरने ने बनारस और आस-पास के कार्यरत 2 दर्जन से अधिक जन संगठनों और संस्थाओं कें प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया । धरने के बाद शामिल सभी सदस्यों ने अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग की।
ज्ञापन देने से पहले 2 घंटे चले धरने के दौरान वक्ताओं ने कहा कि आज देश भर के दलित, अल्पसंख्यक, आआदिवासी और महिलाओं के विरूद्ध साजिशें बढ़ी हैं । हर रोज देश के सभी क्षेत्रों से इनके उत्पीड़न की घटनाएं प्रकाश में आ रहीं हैं । जहां एक और समाज के वंचित वर्गों की सुरक्षा के लिए सरकारें नित नई योजनाएं बना रही हैं और करोड़ों रूपये बहाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इन वर्गो के हालात बद से बदतर होने जा रहे हैं ।सरकारों के अन्दर इन वंचित वर्गों के कल्याण के लिए जरूरी इच्छाशक्ति का अभाव तो साफ दिख ही रहा है, साथ-साथ सरकार का हाथ अपराधियों के साथ भी स्पष्ट दिख रहा है।
सरकार/विधायिका के साथ-साथ कार्यपालिका की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए वक्ताओं ने कहा कि सरकार पर समाज के ताकतवर वर्गों के कब्जे के कारण दलितों आदि के उत्पीड़न में पुलिस की संलिप्तता भी कई सवाल खड़े करती है। विगत दिनों कई ऐसे मामले निरन्तर प्रकाश में आते रहे हैं जिनमें पीड़ित पक्ष द्वारा पुलिस से न्याय की मांग की जाती रही, लेकिन पुलिस अपराधियों के पक्ष में खड़ी दिखी है।
वक्ताओं ने कहा कि समाज में कमजोर वर्गों के प्रति जो रवैया सरकार अपना रहीं है, यह हजारों सालों से हमारे समाज में व्याप्त पित्र सस्तात्मकता और काफी अन्दर तक पैठ बना चुके जातिवाद की ही देन है। केन्द्र की वर्तमान मोदी सरकार के बारे में बोलते हुए वक्ताओं ने कहा कि इस सरकार की पूरी राजनीति ही दलित, अल्पसंख्यक और महिला विरोध की राजनीति है। भारतीय जनता पार्टी और आर0एस0एस0 के कार्यकर्ताओं को मृत गाय में तो मां दिखती है लेकिन जीती- जागती स्त्रियों को निशाना बनाये जाने पर वे चुप्पी साध लेते हैं। वक्ताओं ने कहा कि दलितों और अल्पसंख्यकों पर हमले दक्षिणपंथी राजनीति का एक सुनियोजित हिस्सा है और जनता भी अब इसे समझ रही है।
धरने के बाद, जुलूस की शक्ल में जाकर उपस्थित लोगों ने जिलाधिकारी, वाराणसी के माध्यम से राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में राष्ट्रपति महोदय से यह मांग की गई है कि दलित अल्पसंख्यकों और महलाओं के उपर हो रहे उत्पीड़न के मामलों को बोलने के लिए प्रभावशाली कदम उठाए जाएं और दोषियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाए।
धरने में मुख्य रूप से डा0 आनन्द तिवारी, फादर आनन्द,जागृति राही, डा0 आरिफ,रामजनम, एस.पी राय,देवराज, एकता, रवि शेखर, धनन्जय त्रिपाठी, अन्जु, रान्जु, अनुप श्रमिक, मुकेश झंझरवाल, ब्रजेश तिवारी, सिस्टर सुनीता समेत भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।