अंतिम सांसे ले रही वन संपदा, प्रकृति प्रेमियों में छाई गहरी उदासी

फारुख हुसैन।
पलिया कलां (खीरी)- पूरी दुनियां में चर्चित एक मात्र दुदवा राष्ट्रीय उद्यान धीरे धीरे अपनी पहचान से वंचित होता नजर आ रहा है जिसका कारण वनों का लगातार हो रहा अवैध कटान और हर वर्ष आने वाली भीषण बाढ़ है। जिसके कारण पार्क को हर साल बहुत ही क्षति हो रही है परंतु पार्क प्रशासन इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहा है। जिसके कारण प्रकृति प्रेमियों मे गहरी उदासी छाई हुई है। 
लखीमपुर (खीरी) जिले का एक मात्र दुदवा राष्ट्रीय उद्यान है जिसकी वन संपदा और वन्य जीव बरबस ही लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। जिसका लुत्फ उठाने के लिये हर वर्ष दूर दूर से सैलानी यहाँ आते हैं। परंतु जिस प्रकार से वन संम्पदा को लगातार क्षति हो रही है उसको देखते हुए बहुत जल्द ही इसकी ख्याति  समाप्त हो जाएगी और यह उद्यान भी औरों जगहों की तरह आम जंगल बनकर रह जाएगा। ज्ञात है कि दुदवा राष्ट्रीय उद्यान की खास पहचान कराने वाली सुहेली और नकऊआ नदी है। उसका वर्चस्व समाप्त  होता जा रहा है जिसमें खासकर सुहेली नदी है जिसका वर्चस्व लगभग समाप्त होने को है। सुहेली मे हर साल बाढ़ का पानी आता है जिसके कारण उसमें बहुत ही सिल्ट जमा हो गयी है और पहाड़ों से बाढ़ के साथ बहकर आयी सिल्ट और पत्थर जमा होता जा रहा है, जिसकी सफाई करवाना बहुत जरूरी हो गया है परंतु पार्क प्रशासन पूरी तरह निष्क्रिय रहता है। चुनावो के नजदीक आते ही सुहेली को साफ सफाई करवाने की गतिविधियाँ शुरू हो जाती हैं जो कि हमेशा की तरह बाद मे  निष्क्रिय हो जाती हैं। सुहेली में पूरी तरह मे सिल्ट जमा होने के कारण बाढ़ का पानी उफान पर आ जाता है पानी उफान पर आने के कारण सारा पानी कई एकड़ मे फैले जंगलों मे भर जाता है जो कई महीनों तक भरा रहता है जिसके कारण महीनों पानी भरे होने के कारण जंगल के पेड़ सूखने लगे है। एक ओर तो बाढ़ की वजह से वनों की समाप्ति हो रही है तो वही दूसरी ओर लकडकट्टो ने पूरी तरह से पेड़ो को काटकर साफ करने का कार्य बखूबी संभाल रकह है। वन कर्मियों की पालक झपकते ही लकड़कट्टे अपने फन की कलाकारी दिखा जाते है। जिसके के चलते भी वनों को भारी क्षति पहुँच रही है और बहुत ही तेजी से जंगलों मे अवैध कटान फल फूल रहा है। परंतु पार्क प्रशासन इस पर ध्यान केंद्रित नही कर पा रहा है। जिससे प्रकृति प्रेमियों में खासा रोष वयाप्त है।

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