पूर्वांचल के ग़ाज़ीपुर का था लाल, कानपुर में हुई संदिग्ध मृत्यु, छात्र आंदोलन की ओर
इब्ने हसन ज़ैदी। कानपुर।
आईआईटी, कानपुर में पीएचडी स्काॅलर आलोक पाण्डेय की सोमवार शाम संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गयी। आलोक गाजीपुर जिले का रहने वाला था और संस्थान के हास्टल नम्बर चार में रहकर मैटीरियल साईन्स में पीएचडी कर रहा था। फिलहाल आईआईटी प्रशासन हमेशा की तरह ही इस छात्र की मौत के मामले को दबाने में जुटा है। उसने आईआईटी परिसर में मीडिया के प्रवेश पर रोक लगा दी है। चौंकाने वाली बात यह है कि उसने पुलिस को भी सूचना देने में कोई तत्परता नहीं दिखायी है। उधर छात्र की मौत की खबर लगते ही स्टूडेण्ट जिमखाना के बैनरतले दर्जनों आक्रोशित छात्र हास्टल से बाहर आ गये हैं और इंजेक्सन लगाने वाले डॉक्टर को गिरफ्तार करने की माॅग कर रहे हैं।
आलोक की मौत पर आईआईटी प्रशासन ने देर रात तक कोई अधिकारिक बयान जारी नहीं किया लेकिन अन्दर से छनकर आ रही खबरों के मुताबिक आलोक को दोपहर बाद किसी समय हास्टल नम्बर चार से संस्थान के चिकित्सा केन्द्र लाया गया था। इस बात की अधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है कि उस समय आलोक जीवित थे अथवा नहीं। हालाॅकि गैर अधिकारिक सूत्र आलोक की मौत की वजह हार्ट फेल बता रहे हैं लेकिन मीडिया का प्रवेश रोके जाने और पुलिस को सूचना देने में की गयी देरी से तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं।
आलोक की मौत से आक्रोशित उसके दोस्त वा आईआईटी के सारे छात्र लामबंद होकर प्रदर्शन कर रहे है । आईआईटी छात्रों की मांग है की इंजेक्सन लगाने वाले डॉक्टर पर ह्त्या का मुकदमा दर्ज किया जाय । आईआईटी डायरेक्टर इंद्रनील मन्ना जब छात्रों को समझाने पहुचे तो छात्रों ने खुद उनके ऊपर कई सवाल खड़े कर दिए जिस कारण डायरेक्टर उनके जवाब देने के बजाय भाग गये ।
गौर तलब है कि आईआईटी, कानपुर कुछ साल पहले तक छात्रों की खुदकुशी अथवा संदिग्ध मौतों के लिये काफी बदनाम रह चुका है। तब भी उसने हर ऐसे मामले में परिसर गेट पर नाकेबन्दी करके मीडिया का प्रवेश रोकने की कोशिश की थी।