और नहीं रुकी मंत्री जी की लग्जरी गाडी

अखिलेश सैनी।
बलिया। प्लास्टिक के टुकड़ों और साड़ी का छप्पर… पेड़ की दीवार… खाटी-पाटी का खंभा और बहुत कुछ ऐसी तस्वीर है, जिसे देख पत्थर दिल भी पिघल जा रहा है। लेकिन अफसोस, यहां माननीयों की लग्जरी गाड़ियां भी नहीं रूक रही। यह तस्वीर है गंगापुर से दयाछपरा तक एनएच-31 के पटरियों की। प्रशासन सुबह से शाम तक हाथ-पांव मार रहा है। दिशा-निर्देश खूब दिये जा रहे है। एनएच-31 व दूबेछपरा रिंग बांध को बचाने के लिए प्रशासन ने ताकत झोक दिया है, लेकिन पीड़ितों के लिए न तो माकूल नाव उपलब्ध है ना ही पीने को पानी। इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि अभी तक सड़क किनारे जीवन गुजार रहे पीड़ितों के लिए एक भी नलका नहीं लगवाया गया है।

पेट की आग जैसे-तैसे तो बूझ जा रही है, लेकिन दिल की आग धधक रही है। मन में बहुत पीड़ा है। लोग नेताओं को तो देखना तक नहीं चाहते। उनका मानना है कि यदि नेता बाढ़ व कटान कीभयावहता पर पहले कुछ किये होते तो आज यह नौबत नहीं आती। प्रदेश सरकार ने बाढ़ पीड़ितों के लिए जमीन व आवास देने की घोषणा किया। इसका शासनादेश भीजारी हुआ, लेकिन धरातल पर आज तक सच नहीं दिखा। लोग बेहाल है। डीएम की सक्रियता की सराहनाभी कर रहे है। उनका मानना है कि यदि डीएम बाढ़ से पहले बलिया में आये होते तो आज निश्चित ही यह दिन देखने को नहीं मिलता। उधर, बाढ़ प्रभावितों की सेवा में बघउच के ग्राम प्रधान संतोष सिंह उर्फ बच्चा सिंह ने लंगर खोल दिया है। यहां पीड़ितों को भरपेट भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।

बाढ़ पीड़ितों के कलेजे पर ‘मूंग’ दरते निकल गयी मंत्री की कार
बलिया। केन्द्रीय मंत्री मनोज सिन्हा के लिए बाढ़ पीड़ित कोई खास मायने नहीं रखते। शायद यही कारण था कि वे बुधवार को नरही में पार्टी नेता विनोद की तेरही में शामिल होकर सीधे गंतव्य को रवाना हो गये। बाढ़ पीड़ितों के कलेजे पर शायरन बजाते हुए उनकी कार जैसे-जैसे आगे बढ़ रही थी, हर किसी की जुबान से एक ही बात निकल रही थी क्या भाजपा के लिए पीड़ितों की पीड़ा कोई मायने नहीं रखती?

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