संत तुलसीदास पीजी कालेज- क्या साहेब… कुर्सी का जलवा, कुर्सी मिलते ही अपने शब्द भी भूल गए है साहेब
पं.प्रमोद दुबे
साहेब हमने पहले ही कहा था कि हमारी लड़ाई किसी व्यक्ति विशेष अथवा किसी पद विशेष से नहीं है हमारी यह जद्दोजहद केवल न्याय के लिए है. अत्याचार के विरुद्ध है, भ्रष्टाचार के खिलाफ है. भले यह भ्रष्टाचार करने वाला, अन्याय करने वाला, मेरा सगा ही क्यों न हो, हम तो जद्दोजहद सच के लिए करते है और हमारी सच की जद्दोजहद फिर शुरू होती है. मुद्दे तो बहुत है मगर मुख्य मुद्दा एक एक कर के उठाया जायेगा. गलत न करेगे और न ही गलत करने देंगे के तर्ज पर फिर शुरू होता है- अन्याय संत तुलसीदास पीजी कॉलेज, एक बार फिर से साहेब आपका परिचर इस सिस्टम के साथ करवाकर शुरू करते है अन्याय के खिलाफ एक जंग.
आपने एक कहावत तो ज़रूर सुनी होगी, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, इस मुहावरे को चरितार्थ कर रहे है संत तुलसीदास पीजी कॉलेज के नवनियुक्त प्राचार्य परम आदरणीय शब्दों से तो कह सकते है श्री अब्दुल रशीद साहेब. आज आप भी कन्फियुजिया गए होंगे कि हाई का समाचारों में श्री लगावत है इ नाम माँ. ता भैया डर लागत है कि अगर कही भूले से श्री लगावे छुट गयल ता साहेब मुक़दमा कर दिहन तब का होई. चले साहेब सीधे मुद्दे पर ही आ जाते है मुक़दमा करना होगा तो करे शायद साहेब का अच्छा दिन ही शुरू हो गया है जो साहेब को उच्च पद मिल गया. अब आपको असली बात पर लाते है. यह मुहावरा नहीं हकीकत है, सन्त तुलसी दास पी.जी.कालेज कादीपुर सुल्तानपुर के प्रबन्धतन्त्र एवं महाविद्यालय प्रशासन पर अक्षरश: लागू हो रहा है।
महाविद्यालय की एक महिला शिक्षिका के साथ एक तरफ महाविद्यालय के ही शिक्षक डां.रवीन्द्र मिश्रा द्वारा पूर्व प्राचार्य डां.अरविन्द पाण्डेय के साथ मिलकर छेड़खानी अश्लीलता व उत्पीड़न किया गया,जिसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई, और पुलिस ने चार्जशीट भी लगा दी है जिसमे आरोपियों को आरोपी माना गया है. जून और जुलाई के महीने तक यही अब्दुल रशीद साहेब जो शिक्षक संघ के अध्यक्ष भी है, कोलर खड़ा करके बोलते थे, पीडिता हमारी बहन है, हमारी बेटी है, और हम हर तरह से उसके साथ है. साहेब खूब बयानबाजी किया करते थे तत्कालीन प्राचार्य डॉ अरविन्द पाण्डेय और उनके अधिनस्त डॉ रविंदर मिश्र के खिलाफ. कहते है भाग्य ने उदय लिया, जहा वरिष्ठता सूची में डॉ अब्दुल रशीद अव्वल थे वही अध्यक्ष ओम प्रकाश पाण्डेय ने शायद राजनैतिक सोच का भी प्रयोग किया और अब्दुल रशीद साहेब बन बैठे प्राचार्य संत तुलसीदास पीजी कॉलेज.
अब साहेब रंग बदलती दुनिया तो हमने भी बहुत देखा है मगर इस प्रकार रंग बदलते तो किसी को नहीं देखा. डॉ अब्दुल रशीद साहेब ने जैसा रंग बदला वैसा तो दुनिया को बदलते ही नहीं देखा हमने कभी, प्राचार्य होने के पहले जो महिला पीडिता को यही डॉ अब्दुल रशीद अपनी बहन और बेटी होने का दर्जा दे रहे थे वही डॉ अब्दुल रशीद अब प्राचार्य बनते ही अपने खुद के शब्द भूल हाय और सूत्रों की माने तो जिस महिला पीडिता को उन्होंने खुद कहा था कि मै प्राचार्य बन गया हु अब आप महाविद्यालय आया करे उसी पीड़ित महिला शिक्षिका के खिलाफ वर्तमान प्राचार्य डां.अब्दुल रसीद द्वारा महाविद्यालय का वातावरण दूषित करने के लिए महिला शिक्षिका के ही खिलाफ कादीपुर कोतवाली में की तहरीर दी गयी है।
हमको ताज्जुब तो इस बात का बिलकुल भी नहीं है कि प्रबन्धक सौरभ त्रिपाठी और अध्यक्ष ओम प्रकाश पाण्डेय की आंखों के नीचे व इशारे पर ही इतना बड़ा अन्याय हो रहा है, बावजूद इसके कि सब कुछ जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन के संज्ञान में होने के बाद भी आज तक सम्पूर्ण घटना के सूत्रधार डां.रवीन्द्र मिश्रा के विरुद्ध अभी तक न तो प्रबन्धतन्त्र के स्तर पर कोइ कार्यवाही की गई है. क्यों की जाए साहेब सुना है न कहावत जब बैठे मिले खाने तो काहे जाए कमाने. बस ताज्जुब इस बात का है कि अध्यक्ष ओम प्रकाश पाण्डेय जैसे राजनैतिक सूझ बुझ के नेता को इसकी समझ नहीं है क्या कि २०१७ में जिस विधानसभा का टिकट भाजपा का उनको मिलना लगभग तय है उस विधानसभा में इसकी चर्चा जब होगी तो किस मुह से माँ बहनों से मत मांगने जायेगे. सूत्रों की माने तो डॉ रविन्द्र मिश्र को संरक्षण तो प्राप्त है.
अब्दुल रशीद साहेब के तरफ दुबारा आते है. भाई डॉ साहेब आपने एक शिकायती प्रार्थनापत्र तो पुलिस को दे दिया, साहेब हम भी बहुत तेज़ किस्म के पत्रकार है आपने शिकायती प्रार्थनापत्र दिया और देखिये हमको पता चल गया. लगता है साहेब अर्थशास्त्र को पढ़ा पढ़ा कर आप इस विषय के नाम का शुद्ध संधिविछेद समझ गए है. डॉ साहेब कानून सबके लिए है. पीड़ित शिक्षिका को सुबह दस बजे महाविद्यालय बुलाकर फिर दोपहर 2 बजे तक बैठाये रखना और उसके कार्यो को न करने देना. साहेब शायद आईपीसी की बढिया जानकर से पूछे नहीं है. इसको हरेश्मेंट ऐट वर्क प्लेस कहते है, साहेब कानूनन जुर्म है और इत्तिफाक नहीं है सर ये संगे अपराध की श्रेणी में आता है. साहेब हमको भली भाति पता है आपका कौन शिक्षक है जिसके खिलाफ ठगी, धोखाधड़ी का अपराध सदर कोतवाली सुल्तानपुर में दर्ज होने के बाद भी प्रबन्धतन्त्र कोई एक्शन नहीं ले रहा है.
साहेब डॉ अब्दुल रशीद साहेब जो कल तक डॉ रविन्द्र मिश्र को क्या क्या नहीं कहते थे वो आज उन्ही रविन्द्र मिश्र को अपना दाहिना हाथ बनाये हुवे है. हमसे बातचीत करते हुवे डॉ अब्दुल रशीद साहेब ने बताया कि “वह पीडिता असल में क्वालीफाई अध्यापिका नहीं है इसीलिए हम केवल क्वालीफाई अध्यापक अध्यापिका से ही पढवाते है”. अब डॉ अब्दुल रशीद साहेब हमको कम पढ़ा लिखा समझ कर पढ़ाने का अनोखा प्रयास कर गए है. शायद भूल गए डॉ साहेब हम भी पढ़ लिख कर कलम चला रहे है. डॉ रशीद साहेब तत्काल बगल झाकने लगते है और जल्दी में हु का बहाना बनाते है जब हम उनसे पूछ लेते है कि उतनी ही शिक्षा ग्रहण करे हुवे 14 अन्य शिक्षक शिक्षिका आपके महाविद्यालय में पढ़ा रहे है उनको विशेष डिग्री किसके द्वारा प्रदान की गई है.
साहेब शर्म की बात नहीं है शर्म की बात तो वह होती है जहा आदमी अपनी ज़बान पर कायम रहे. अभी चाँद महीने ही पहले आप शिक्षिका को अपनी बेटी बताकर पूर्व प्राचार्य व डां.मिश्रा के खिलाफ हर प्रकार की आर्थिक एवं कानूनी मदद करने का आश्वासन देते थे आज आपके द्वारा ही उसी के खिलाफ थाने में तहरीर दे रहे है. कोई बात नहीं साहेब इसके पहले वाले शब्द हम समझ सकते है एक शिक्षक के थे अब के आपके कार्य एक प्राचार्य के है दोनों में थोडा फर्क तो आना है आखिर अब आपको पॉवर मिल गया है. अब आपका आलीशान केबिन है आपकी सेवा में डॉ रविन्द्र मिश्रा उसी प्रकार है जैसे वो डॉ अरविन्द पाण्डेय के सेवा में लगे रहते थे. साहब एक बात याद रखने को कहूँगा. यह पद कुछ महीनो का है. साहेब आयोग प्राचार्य बहुत जल्द भेज रहा है ये बात आप शायद भूल रहे है. साहेब आयोग प्राचार्य जब भेज देगा तो आप फिर वापस उसी जगह उन्ही अध्यापको के बीच बैठने लगेगे जहा अब से पहले आप बैठते थे. फिर सब कुछ वैसे ही हो जायेगा जैसे पहले था.