अवैध कब्जों से खत्म होता जा रहा तालाबों का अस्तित्व
फारुख हुसैन
लखीमपुर खीरी पलिया कलां। शहर हो या फिर गाँव अतिक्रमणकारी अवैध कब्जा करने में पूरी तरह से माहिर हो गये हैं कुछ अतिक्रमणकारी नगर मे सड़कों पर अतिक्रमण करते हैं परंतु कुछ अतिक्रमणकारी नगर में व आसपास गाँवों मे बने तालाबों पर ही अतिक्रमण कर कब्जा करने में जुट गये हैं। पलिया क्षेत्र व उसके आस पास गाँवों में आधे से ज्यादा तालाब पाटे जा चुके हैं और बचे हुए तालाबों पर भी अतिक्रमणकारियों की नजर पड़ चुकी है। जिस पर भी यह अवैध कब्जा शुरू होता जा रहा है। परंतु प्रशासन पूरी तरह से चुप्पी साधे हुआ है। उल्लेखनीय है कि नगर में मुख्यालय से दुधवा राष्ट्रीय उद्यान से जोड़ने वाले मार्ग के किनारे तालाब (छोटी खन्तियां)जिस पर पूरी तरह से अवैध कब्जा किया जा चुका है जिनको यह तो मार्ग के किनारे बने स्कूलों में मिलाया जा रहा है यह फिर कुछ दुकानदारों उन्हें कड़े कचरे से पटवा रहे है और फिर उन्हें अपनी जमीनो मे मिलाकर उस पर कब्जा कर रहें है ।नगर के आस पास के क्षेत्र जिसमें गुलरईया , चकरोट, पैरवा खास हैं जो अपना अस्तित्व पूरी तरह खो चुके हैं।जिनमें अब खेत बना लिये गये हैं । नगर की मछली मंडी के पीछे का तालाब जिसका रकबा 92 डिस्मिल है जिसमें मछली पालन किया जा रहा है परंतु अब उसका अस्तित्व भी धीरे धीरे खत्म होता जा रहा है क्योंकि वहां बने होटल अपना पाँव धीरे धीरे पसार रहे है ।जिसमें सबसे ज्यादा परेशानी मार्गो के किनारे बसे मोहल्लों के लोगों को हो रही है बरसात के दिनों में पानी निकास की सुविधा अब बिल्कुल खत्म हो चुकी है जिसके कारण सारा पानी मोहल्लो मे ही भरा रहता है ।मनरेगा के तहत सभी ग्राम प्रधानों और जन प्रतिनिधियों को जिम्मेदारी दी गयी थी कि तालाबो की सफाई करके उन पर होने वाले अतिक्रमण को हटवाये ।परंतु इस पर अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया गया है ।