बागी धरती पर गूंजा स्वदेशी अपनाओं-विदेशी भगाओं का नारा

अन्जनी राय
बलिया : स्वदेशी जागरण मंच द्वारा पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्मशती समारोह के उपलक्ष्य में मनाये जा रहे दो दिवसीय प्रांतीय सम्मेलन के दूसरे दिन प्रभात फेरी निकाली गयी। चन्द्रशेखर आजाद चौराहे से शुरू हुई प्रभात फेरी नगर भ्रमण कर स्वदेशी अपनाओं-विदेशी भगाओं का संदेश देते हुए पुन: नया चौक पहुंचकर सभा में तब्दील हो गयी।

स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संगठक कश्मीरीलाल जी ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानव दर्शन मानवता का एक ऐसा संदेश देता है, जिसके सहारे वसुधैव कुटुम्बम को चरितार्थ किया जा सकता है। आपसी भेदभाव, छल-फरेब, जातिवाद, धर्म और सम्प्रदायवाद को त्याग कर मानव मात्र के लिए किया गया सत्कार्य ही एकात्म मानव दर्शन का चरित्र है। पंडित के आर्थिक लोकतंत्र का वर्णन करते हुए कहा कि इसके लिए स्वदेशी अपनाकर विकास किया जा सकता है। अर्थतंत्र और उत्पादन तंत्र की रचना ऐसी होनी चाहिए, जिसमें स्थानीय संसाधनों, कौशल व श्रम का प्रयोग कर आवश्यतानुरूप उत्पादन किया जाय। राष्ट्रीय प्रचार प्रमुख प्रदीप जी ने कहा कि इस भौतिकवादी युग में भारतीय सभ्‍यता व संस्कृति से अवगत होने के लिए पंडित जी के पदचिन्हों पर चलना आवश्यक है। काशी हिन्दू विश्व विद्यालय के संजय शर्मा ने वर्तमान पीढ़ी को पूर्वजों के नक्शे कदम पर चलते हुए भारत के विकास की पटकथा लिखने का आह्वान किया। प्रदेश संगठक अजय उपाध्याय ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्पर्द्धा के दौर में प्रौद्योगिकी प्रतिमानों का स्थापित कर विकास की ऊंचाईयों को प्राप्त किया जा सकता है, जहां आर्थिक समृद्धि के साथ रोजगार की बहुलता होगी। इसके पूर्व सदानंद जी महाराज ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के समक्ष पुष्पांजलि व दीप प्रज्ज्वलन  कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अविनाश, विभा मिश्र, विद्याभूषण, बृजेश पांडेय, सर्वेश पांडेय, आनंद श्रीवास्तव, सुरेश नागर इत्यादि मौजूद रहे। इस दौरान स्वदेशी जागरण मंच द्वारा दो दर्जन से अधिक विद्यालयों के बच्चों को सम्मानित किया गया। उधर, एकात्म मानववाद के प्रणेता, महान विचारक, चिंतक व जाने-माने  पत्रकार पं. दीनदयाल उपाध्याय के जन्म शताब्दी के अवसर पर जनपदीय कार्यालय के निर्देशन में नेहरू युवा मण्डल खेजुरी द्वारा एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। खेजुरी स्थित आनंद बालिका इण्टर कालेज के प्रांगण में आयोजित गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए डॉ. कामेश कहा कि पंडित जी के एकात्म मानववाद की दार्शनिक परिकल्पना को साकार कर समाज से जाति-धर्म, सम्प्रदाय, ऊंच-नीच की भावना को समाप्त किया जा सकता है। नेहरू युवा केन्द्र के लेखाकार नवीन कुमार सिंह ने कहा कि आज के भौतिकवादी युग में हम अपनी संस्कृति, सम्पन्न विरासत और स्वर्णमयी इतिहास को भूलते जा रहे हैं। ऐसे कार्यक्र्रमों के माध्यम से ही नई पीढ़ी को सभ्‍यता और संस्कृति से परिचित कराया जा सकता है।

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