कानपुर के प्रमुख समाचार दिग्विजय सिंह के साथ
किसानों ने नये शिरे से भूमि अधिग्रहण की मांग उठाई, आदेश के बावजूद भी नही मिली किसान परिवार में किसी को नौकरी
कानपुर नगर,रेलवे को किसानों की भूमि का नए सिरे से अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू करनी चाहिये और नए भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत चार गुना मुआवजा एवं अन्य देय जो हो किसानों को देना चाहिये। इसी मांग के साथ भारतीय किसान मंच के बैनर तले सैकडों किसान मण्डलायुक्त कार्यालय पहुंचे तथा मण्डलायुक्त को ज्ञापन सौंपा।
बताया गया कि भारत सरकार रेल मंत्रालय द्वारा कलकत्ता से अम्बाल तक नइ्र रेल लाइन बनाने हेतु कानपुर नगर ककी 33 ग्राम सभाओं 150 गांवों के पांच हजार किसानों की हजारों बीघे बहुफसली उपजाऊ जमीन रेल अधिनियम 1989 के अंतर्गत 2009 में अािग्रहीत की थी जबकि अधिसूचना और अर्जन की धारा मंे यह प्राविधान है कि यदि पांच साल तक जमीन का भोतिक कब्जा नही लिया जाता है तो ऐसी स्थिति में पूर्व में की गयी भूतिक अधिग्रहण की समस्त कार्यवाही स्वतः समाप्त हो जाती है। अब 6 वर्ष 24 दिन बीत चुके है। मांग की गयी कि अब रेलवे को किसानों की भूमि का नए सिरे से अधिग्रहण की कार्यवाही करनी चाहिए और नए भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत चार गुना मुआवजा एवं अन्य देय जो हो किसानों को देना चाहिये। कहा कि रेल मंत्रालय के रवि शेखर द्वारा कोरीडोर के अधिकारियों को आदेश दिये गये थे कि जन किसानों की जमीन रेलवे लाईन में जा रही है उन किसानों के पहरवार के एक व्यक्ति को नौकदी दी जाये, लेकिन अभी तक किसी को नौकरी नही मिली, जबकि रायबरेली जिले के लालगज में रेल डिब्बा कारखाने में सभी 1434 किसानों को नौकरी दी गयी है। इसी प्रकार इटावा, मैनपुर के किसानों को नौकरियां मुल चुकी है, लेकिन कानपुर में निर्माणाधीन डेउीकेटेड फ्रेट कोरीडोर के प्रभावित किसानों को अभी तक नौकरी नही दी गयी जो अन्याय है। इस अवसर पर महेश कुशवाहा, ब्रम्ह प्रकाश, राजू यादव, शशांक दीक्षित, साधू राम कुशवाहा, गोविन्दा साहू सहित सैकडो किसान मौजूद रहे।
अखाड़ा’ आने के लिये प्रताप परिवार ने ली ट्रेनिंग
कानपुर नगर, इच्छाप्यारी नागिन का पहलवान परिवार इस शो में इच्छा प्रताप परिवार के साथ रहती है, जो पेशे से पहलवान है और उन्होंने एक सख्त डाइट और एक्सरसाइज का पालन किया। इन कलाकारों ने शो की शूटिंग शुरू करने से कुछ सप्ताह पहले कड़ा प्रशिक्षण लिया। इस शो में प्रबल प्रताप की भूमिका निभा रहे प्रवीण सिरोही ने कहा, ”हमारे पास सेट पर विशेष ट्रेनर थे, जो हमें प्रशिक्षण दे रहे थे, ताकि हम पहलवानों की तरह दिख सकें और व्यवहार कर सकें। हमारे लिये मूव्स एवं एक्सप्रेशन्स को पकड़ना भी महत्वपूर्ण था। यहां तक कि फरीदा जी, जोकि पर्दे पर हमारी दादी का किरदार निभा रही हैं, ने भी कई टिप्स दिये और सुनिश्चित किया कि हम सही डाइट लें। उन्हें अपना कौशल्या देवी का किरदार पसंद है, जो एक अखाड़ा चलाती है।”
कौशल विकास योजना के तहत 2100 छात्रों के प्रमाण पत्र का वितरण
कानपुर नगर, वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रोयोजित कौशल विकास योजना के तहत 2100 छात्रों को एक्सिस कालेज रूमा में प्रमाण पत्र वितरण किया गया। इस अवसर पर डायरेक्टर ट्रेनिंग गुरूप्रीत सिंह ने बताया कि विश्व की बढती हुई औधोगिक मांग को पूरा करने के लिए भातर सरकार ने कौशल विकास योजना की शुरूआत की थी। इस योजना को और विकसित रूप में लाने के लिए ऐसे पाठयक्रमों को लाया गया जो थ्योरी से अलग प्रयोगात्मक शिक्षा पर आधिारी है। इस कडी में यह प्रमाण पत्र एवं रोजगार वितरण समारोह एक सफल प्रयास है। इस अवसर पर राज कुशवाहा व संस्था निदेशक डा0 कुमुद द्विवेदी भी मौजूद रहे।
जिला समाज कल्याण अधिकारी पर लगा अर्थ दण्ड
कानपुर नगर, जिला समाज कल्याण अधिकारी अलख निरंजन मिश्रा द्वारा आयोग के आदेशों की बार-बार अवहेलना करने पर राज्य सूचना आयोग ने धारा 20(1) के तहत दोषी करार देते हुए 25000 रू0 का दण्ड लगाया।
कर्नलगंज निवासी रौशन अली ने बताया कि समाजवादी पेंशन योजना से सम्बन्धित वार्ड सं0 84 दलेेलपुरवा में किए गए सत्यापन, नगर निगम/वार्ड वार जोन कार्यालय में चस्पा की गयी सूची, वृद्धापेंशन, गरीब असहाय लोगों के लिए चलायी जा रही योजना से सम्बन्धित 6 बिंदुओं पर सूचना के अधिकारी अधिनियम के तहत समाज कल्याण विभाग से सूचना चाही गयी थी जिसके न मिलने पर अपीली की गयी थी। उसका भी उत्तर न मिलने पर राज्य सूचना आयोजन में अपील दायर की गयी थी। कई बार आदेश के बाद भी न तो सूचना दी गयी और न ही समाज कल्याण अधिकारी अलख निरंजन मिश्रा वहां स्वयं उपस्थित हुये तथा न ही किसी सहायक को भेजा, जिनपर 25 हजार का दण्ड लगाया गया है।
रूट सिस्टम हुआ फेल, सिरदर्द बने ई-रिक्शा
कानपुर नगर, वर्तमान में शहर की सडकों पर 9800 ई-रिक्शा धमा-चौकडी मचा रहे है, जिसमें 511 ईरिक्शा ही केवल वैध है, जो ईरिक्शा अवैध चल रहे है उनका पंजीयन नही हो सकता है क्योंकि यह परिवहन आयुक्त से वैध एजेंसियों ने नही खरीदे गये है। इन अवैध ईरिक्शा संचालको को पूर्व में नाटिस भी दिया जा चुका है लेकिन अभी इस ओर कोई कारगर कदम नही दिख रहा है। यही नही इनपर लगाम लगाने के लिए जनवरी में इन्हे रूटवार चलाने का फैसला हुआ था और यह भी तय हुआ था कि पहले ईरिक्शा का पंजीयन होगा बाद में इनके रूट तय कर दिये जायेंगे, लेकिन समय बीतने के साथ वह भी समाप्त हो गया और अब यही ईरिक्शा यातायात के लिए नासूर बने हुए है। चौराहे, सडको तथा गलियों तक में ईरिक्शा धमा चौकडी कर रहे है।
शहर में चुन्नीगंज, घण्टाघर, बडा चौरहा, जरीबचौकी के साथ मुख्य सडको पर दौड रहे लगभग दस हजार ईरिक्शा अब शहर की यातायात व्यवस्था के लिए कोढ बन चुके है। ईरिक्शा का आशय था कि मोहल्लों में सवारियों को ले जाना लेकिन मुख्य सडकों पर यह किसी मुसीबत से कम नही। इनकी अराजकता चरम पर है वहीं आंकडे बताते है कि इन रिक्शों के कारण रोजना लगभग 5 दुघर्टना प्रतिदिन होती है। शहर में चल रहे ईरिक्शा में अभी तक केवल 413 ही पंजीकृत है। दबंगई इतनी कि आरटीओ की नोटिस भी इनके ऊपर प्रभाव नही डाल पायी। एक तरफ रात में यह रिक्शा हेड लाइट नही जलाते तो आधे से अधिक ई-रिक्शा का संचालन नाबालिग कर रहे है।
चौराहो पर पुलिस की उगाही
ईरिक्शा की चौराहो पर धमाचौकडी का मुख्य कारण भी यातायात विभाग के कर्मचारी और पुलिसकर्मी है। हर चौराहे पर इन ईरिक्शा वालों से वसूली की जा रही है। इन रिक्शा चालकों की माने तों चौराहो पर पुलिस कर्मियों और होमगार्ड को प्रति चक्कर 5 से 10 रू0 देने पडते है और यहीं कारण है कि नाबालिग ई-रिक्शा चालाकों को चौराहो पर लगे पुलिस कर्मी अनदेखा कर देते है। यह नहीं 6 सवारी के स्थान पर 12 सवारी तक इन रिक्शों में बैठायी जाती है। बीती जनवरी माह में इन रिक्शो के लिए रूट तय करने का फैसला किया गया था, वह भी सरकारी विभागीय लापरवाही के कारण परवान नही चढ सका।