एक पत्रकार अज़हरुददीन का खुला ख़त देश के मुखिया के नाम

जंग से किसी मसअले का हल नहीं होता, 

जंग तो ख़ुद में एक मसअला है

प्रेषक-

पत्रकार अज़हरुददीन
फतेहपुर, उत्तर प्रदेश 

सेवा में,
प्रिय मोदी जी
याद है, जब इस तरह की वारदातों पर मनमोहन सिंह चुप रह जाते थे, तो आप कहा करते थे कि डूब मरो, आज निज़ाम बदला है, कुर्सी पर ख़ुद आप हैं और जनता आपसे सवाल कर रही है. यही सच है कि देश की सबसे बडी कुर्सी पर बैठे हुए शख़्स की तमाम मजबूरियॉं होती हैं, दुनिया के तमाम मुल्कों का दबाव होता है, ये दबाव पिछली सरकारों पर भी था, लेकिन तब आपने बहोत मज़ाक उडाया था सरदार जी का, वीर रस के कवियों ने तो कविता से ही पाकिस्तान फतेह कर दिया था.
  
लेकिन आज जब ख़ुद जवाबदेही का वक्त आया है तो सिर्फ निंदा हो रही है, मोदी जी और राजनाथ जी बडबोलापन हमेशा आदमी को परेशान करता है, आज आपको परेशान कर रहा है, अगर एक सर के बदले दस सर लाने का वादा आपने ना किया होता तो शायद आज आपसे इतने सवाल ना होते, अगर आप लाहौर तलक घुस कर मारने की बातें ना किये होते भाषणों में तो आपका मज़ाक ना उडता, जुमलों से सरकार बनाई तो जा सकती है, चलाई नहीं जा सकती, अब भी आपसे गुज़ारिश है कि देश इस मुद्दे पर आपके साथ खडा है. हम आपको जंग के लिये उकसा नहीं रहे हैं, क्यूँकि हमने हर रोज़ मुल्क में लहू देख रहे हैं, अब और नहीं देखना चाहते हैं. बस ये है कि कुछ एैसा स्थायी हल निकाल दीजिये कि हमें अपने सैनिकों की लाशें ना देखनी पडें.

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