रेलवे पुलिस की कारस्तानी, मऊ में छः पत्रकारों के खिलाफ रेलवे पुलिस ने दर्ज कराया मुकदमा

संजय ठाकुर/अन्जनी राय
जन्माष्टमी के दिन पत्रकार के पिटाई का मामला
नामजद पत्रकार
1- अभिषेक राय 
2- किंकर सिंह 
3- जाहिद 
4-  पुनीत 
5-  एच.एन. आजमी 
6- रविन्द्र सैनी 
समेत 13 अज्ञात पत्रकारों पर हुआ मुकदमा

मऊ। पुलिस हमारी सुरक्षा के लिए है, पत्रकार और पुलिस का चोली दामन का साथ है, मगर आज पत्रकारो पर ही ज़ुल्म ढाए जा रहे है। दुनिया को आइना दिखाने वाला समाज को रोशनी दिखाने वाला लोकतंत्र का यह चौथा स्तंभ आज कितना निरीह हो गया है कि समाज आज मासूम पत्रकारो पर ज़ुल्म की इन्तहा ख़त्म हो गई है कि जब पत्रकारों पर हमलावरों के खिलाफ पत्रकारों ने मुकदमा दर्ज करवाया तो उस समय तो मुकदमा दर्ज कर लिया गया मगर बाद में खुद पुलिस वालों ने वादी बनकर आधा दर्जन पत्रकारों को नामजद और अन्य अज्ञात के खिलाफ गंभीर धाराओं में पेशबंदी करते हुवे मुकदमा कर्ज करवा दिया है।

घटना के संबंध में बताते चलें कि गत 31 अगस्त की रात मऊ जंक्शन पर आरपीएफ द्वारा आयोजित जन्माष्टमी के छठे दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम में एक इलेक्ट्रॉनिक चैनल के पत्रकार अभिषेक राय को कुछ लोगों द्वारा बुरी तरह पीट दिया गया, जिसमें उक्त पत्रकार बुरी तरह घायल हो गया।
इस घटना की जानकारी पाकर जनपद के दर्जनों पत्रकार मऊ रेलवे स्टेशन पर रात में ही पहुँचकर शांति पूर्वक सम्बैधानिक तरीके से जीआरपी थाना मऊ में प्राथमिकी दर्ज करा कर घर लौट गए। इस मामले में रेलवे प्रशासन द्वारा आरपीएफ के दो दरोगा को निलंबित करते हुए जीआरपी इंचार्ज का अन्यंत्र स्थानांतरण कर दिया गया। 
रेलवे पुलिस के खिलाफ मुकदमा दर्ज व कार्यवाही से बौखलाई रेलवे पुलिस के एक दरोगा ने अपनी वर्दी का तत्काल फायदा उठाते हुवे पेशबंदी में छः पत्रकारों के खिलाफ नामजद व दर्जनों अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया है। जिसमें मारपीट, जान से मारने की धमकी, व तमाम गंभीर धाराओं के साथ ही SC/ST का मुकदमा दर्ज कराया गया है। 
प्रश्न यह उठता है की क्या अब किसी पत्रकार साथी के विपत्ति के समय अन्य साथी पत्रकार थाना तक भी नही जा सकते। दूसरा सवाल यह पैदा होता है कि प्रथम दृष्टायतः ही यह मामला पेशबंदी का लग रहा है तो बिना विवेचना कैसे सम्बंधित अधिकारी द्वारा मुकदमा दर्ज कर लिया गया, जबकि यह जग जाहिर है कि सत्य में पीड़ित पक्ष को मुकदमा लिखवाने के लिए थाने चौकी पर जूते घिसने पड़ जाते है। इस संबंध में आईरा के राष्ट्रीय प्रवक्ता तारिक़ आज़मी ने मांग की है कि इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच उच्चाधिकारियों द्वारा करवाया जाना चाहिए और किसी भी पत्रकार को फर्जी नहीं फसाया जाय इसका स्थानीय प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।

(इस मामले में आप सभी से सहयोग सादर अपेक्षित है। कृपया संगठनात्मक सहयोग करें)

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