तो क्या रेल बाज़ार पुलिस है ज़िम्मेदार इस मासूम कि मौत के लिए
- लोग मुझे सिंघम के नाम से जानते है मैं सिर्फ अखिलेश जी की सुनता है तुम हो कौन- चौकी इंचार्ज रमेश यादव
राजेन्द्र केसरवानी एव दिग्विजय की रिपोर्ट
कानपुर 26 सितम्बर 2016
यूपी पुलिस के मुखिया डी0 जी0 पी0 जाविद अहमद के लाख मना करने के बावजूद पुलिस अपनी गैर ज़िम्मेदार हरकतों से बाज़ आती नहीं दिख रही है अपनी कथित कठोरता के चलते आम नागरिक पर अत्याचार कर खाकी को शर्मसार करने में कोई कसर नही छोड़ रही है ताज़ा मामला है कानपुर के रेल बाज़ार का है. यहाँ के निवासी सपा के पूर्व नगर सचिव फैसल जावेद शाम के वक़्त अपने सात साल के भांजे की दवाई लेकर थाना रेल बाजार से होते हुए मोटर सायकल से घर जा रहा था बच्चा कई दिन से बीमार था. तभी अचानक सामने से आ रहे एक दूसरे मोटर साइकिल सवार से टक्कर हो जाती है जिसके चलते दोनों में विवाद शुरू हो जाता है थाना बगल में होंने की वजह से कई सालो से थाने में विराजमान बलवीर यादव नामक सिपाही अपने मातहतों के साथ रौब झाड़ते हुए दोनों पक्षों को थाने में ले आते है और भद्दी भद्दी गालिया देते हुए एक कोने में बैठने को कहते है चूँकि फैसल को अपने बीमार भांजे के लिए समय पर दवाई पहुचानी थी इसलिए बलवीर यादव को अपनी व्यथा सुनाई और घर जाने के लिए हाथ जोड़कर आग्रह किया लेकिन सिपाही महोदय थाना अध्यक्ष के नदारद रहने पर खुद को थाना अध्यक्ष समझे बैठे थे भला क्यों पिघलते यहाँ तक फैसल ने ये भी कहा की वो दवा देकर वापस आ जायेगा, मगर सिपाही साहेब को इसका असर नहीं पड़ा.वो अपनी धौस पर कायम रहे.
इसके बाद थाने में आगमन होता है रेल बाजार चौकी इंचार्ज रमेश यादव का जिनके कंधे पर क्षेत्रिय जनता की भारी ज़िम्मेदारी होती है फैसल ने अपने बीमार भांजे की बात चौकी इंचार्ज रमेश यादव को बताई और खुद को छोड़ने के लिए कहा लेकिन यहाँ तो उल्टा ही मामला हो गया फैसल के मुताबिक चौकी इंचार्ज तो सिपाही से ज्यादा गुर्राने लगे और फैसल से बोले लोग मुझे सिंघम के नाम से जानते है मैं सिर्फ अखिलेश जी की सुनता है तुम हो कौन फैसल से कहा आखिरकार पुलिस की गुंडई से हारकर फैसल ने अपने मित्र बार काउन्सिल महामंत्री लल्लन जी बुलवाया उनके आने के बाद फैसल को रिहाई मिली तीन घण्टे बाद घर पहुचे फैसल को एक बहोत बड़ा झटका भांजे की मौत के रूप में मिला
फैसल के भांजे की मौत देखकर क्षेत्रीय लोगो ने थाने में हंगामा किया और ऐसे गैर ज़िम्मेदार पुलिस वालो को सस्पेंड करने की मांग की हंगामे की सुचना मिलने पर कई थाने का फ़ोर्स रेल बाजार थांने पंहुचा और मामले को पूरी तरह शांत कराया इस मामले में फैसल जावेद का आरोप है कि अगर उसे बक्त रहते जाने दिया जाता तो शायद उसके भांजे की जान बच सकती थी !
खैर इस मामले से एक बात तो साफ़ हो गई है कि डी0 जी0 पी0 साहेब चाहे जितना मेहनत कर ले अपनी पुलिस को सही राह पर लाने के लिए लेकिन यूपी पुलिस बाज़ आने से रही अपनी हरकतों से बाज़ आये भी तो कैसे हर पुलिस वाले की सीधे अखिलेश जी से जो सेटिंग है अब जब सीधे अखिलेश जी से ही सेटिंग है तो गुंडई तो बनती ही है अब आप ही बताओ इसमें डी0 जी0 पी0 साहेब आपका आदेश किस जगह होगा जब एक चौकी इंचार्ज केवल मुख्यमंत्री कि सुनते है.