वाराणसी – कप्तान साहेब विशेश्वरगंज की इस समस्या से शहर को निजात दिलवा दे.
अनुपम राज / अज़हरुद्दीन “जावेद”
वाराणसी. अगर कभी मुझको अलादीन का चिराग मिल जाय तो मैं उसके जिन्न से केवल एक ही काम करवाऊंगा वो होगा वाराणसी के सडको को जाम मुक्त करवाना. वाराणसी के सांसद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी काशी को क्योटो बनाने की बात कही, हम बड़ा खुश हुवे कि चलो अब जाम से निजात मिल जायेगा, मगर आज भी शहर जाम के झाम में फंसा हुआ है. सुबह दोपहर शाम जब देखो तब काशी जाम शायद इस शहर की एक पहचान बनता जा रहा है.
इस शहर के विशेश्वरगंज की आप सम्बंधित फोटो देख रहे है. यह फोटो सुबह 10:30 के लगभग ली गई है जब शहर में नो इंट्री लगी हुई थी तब स्थानीय पुलिस कर्मियों के विशेष अनुकम्पा से इस इलाके में रात को अनलोड होने आई एक ट्रक को नो इंट्री के बावजूद शहर से वापस भेजने का प्रयास किया गया. नतीजा यह हुआ कि लगभग 30 मिनट पूरा बिसेश्वर्गंज थम सा गया. दो पुलिस कर्मी इस ट्रक को हडकाते हुवे बाहर निकलवा रहे थे. अंततः पीछे जाम में फंसे नागरिको का सब्र जवाब दे गया और आखिर नागरिको का गुस्सा फुट ही पड़ा. मौके पर जो पुलिस कर्मी थे उन्होंने पहले तो पुलिसिया हड्दब में लेने कि कोशिश कि मगर देखा मामला बिगड़ सकता है तो उन्होंने भी ट्रक वाले को डाटना शुरू किया. आखिर 30-35 मिनट के मशक्कत के बाद ट्रक नो इंट्री का सीना चीरते हुवे हाई वे पर फर्राटा भारती नज़र आई.
यह सिर्फ एक दिन का नहीं है. क्षेत्रिय नागरिको के आरोपों को माने तो यह लगभग रोज़ का ही मामुल है, बड़ी पकड़ के लोग कभी भी ट्रक और ट्रैक्टर को नो इंट्री में घुसा लेते है. कृषि कार्य हेतु परमिट लिए ट्रैक्टर शहर की गली नुमा सडको पर मालवा उठाने, बालू गिराने आदि का कार्य करते आसानी से दिखाई दे जायेगे. इसी विशेश्वरगंज के मछोदरी पार्क से कूड़ेखाने वाली road पर हमेशा ट्रको का ही कब्ज़ा रहता है. इस सड़क को स्थानीय ट्रांसपोर्टर ट्रक पार्किंग के लिए प्रयोग करते है. इन सबके बावजूद स्थानीय प्रशासन इस पर आंखे मूंदे बैठा है. वर्तमान पुलिस अधिक्षक ने शहर की ट्राफिक व्यवस्था को सुधरने के लिए प्लान करना शुरू कर दिया है. अब देखना ये है कि उस प्लान में शहर के इस इलाके का नंबर कब आता है और आता भी है कि नहीं.