इस्लामी कानून में दखलन्दाजी बर्दास्त नहीं : मौलाना मसऊद अख्तर मिस्बाही
मुबारकपुर में उलमाओं ने बैठक कर तीन तलाक मसले पर सरकार के रवैये पर कड़ी नाराज़गी जताई
अन्जनी राय / महबूब
आजमगढ़ : तीन तलाक के मसले पर केंद्र सरकार के रवैये से मुबारकपुर क्षेत्र के उलेमा एवं मुस्लिम समाज में नाराजगी है। शुक्रवार को नमाज़े जुमा बाद अल्जामे अतुल अशरफिया अरबी यूनिवर्सिटी के प्रागण में तंजीम अबनाए अशरफिया के राष्ट्रीय महामंत्री व यूनिवर्सिटी के अध्यापक मौलाना मसऊद अख्तर मिस्बाही व प्रांतीय मिडिया प्रभारी मौलाना नुरुलहोदा मिस्बाही ने उलेमाओं की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार इस्लामी शरीयत के कानून में दखलन्दाजी न करे। देश के संविधान ने हर मजहब के लोगो को उनके धर्म के नियमो को मानने और उस पर चलने की पूरी आजादी दी है।
उन्होंने कहा कि तीन तलाक का मसला मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के अंतर्गत आता है। इस्लामी शरीयत में अगर किसी ने पत्नी को तीन बार तलाक कह दिया तो दोनों के बीच का रिश्ता समाप्त हो जाता है। तीन तलाक के मुद्दे पर केंद्र ने जो पक्ष रखा है वह मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के खिलाफ है।
मौलाना फहीम बस्तवी ने कहा कि हर मुसलमान अपने देश के संविधान के साथ इस्लामी शरीयत पर यकीन रखता है। उन्होंने कहा की भारतीय संविधान में की गयी मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की व्यवस्था को बनाये रखने की अपील करते हुए कहा कि मुसलमान सब कुछ बर्दाश्त कर सकता है मगर इस्लाम की मुखालिफत कत्तई बर्दाश्त नहीं करेगा।
मौलाना मसऊद अख्तर मिस्बाही ने कहा कि शरीयत इंसानी नहीं बल्कि अल्लाह का बनाया हुवा कानून है। इसे बदला नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा की सरकार को देश के विकास के प्रति संजीदा रहना चाहिए। माहेनामा अशरफिया के चीफ एडिटर मौलाना मुबारक हुसैन मिस्बाही ने कहा कि धार्मिक मामलो को हल करने के लिए धर्मगुरु मौजूद है। सरकार को कोई हक नहीं है ।
उलेमाओं के नेतृत्व में लोगो ने हस्ताक्षर अभियान शुरू करते हुए केंद्र द्वारा किये गए धार्मिक मामले में हस्तक्षेप की निंदा की है। इसके साथ ही हस्ताक्षर की एक प्रति राष्ट्रपति को भेज कर शरीयत के कानून में किसी को हस्तक्षेत न करने का अनुरोध किया है।
इस बैठक में मौलाना ज़ाहिद सलामी, मौलाना मुफ़्ती मेराजुल कादरी , मौलाना नफीस अहमद मिस्बाही, ,मौलाना डॉ मो तुफैल मिस्बाही, आदि दर्जनों उलमा मौजूद रहे।