कंसराज ख़त्म करने का पुर्व अनुभव है इस कृष्ण को

संजय ठाकुर और अखिलेश सैनी 
बलिया. वैभव कृष्ण नवागंतुक पुलिस कप्तान (बलिया) के अब तक के सफ़र पर नज़र डाले तो आसानी से कहा जा सकता है कि किसी भी मायने में पुर्व कप्तान से कम नहीं है. इसके पुर्व के तैनाती जिलो में अपने निष्पक्ष कार्यशैली का लोहा मनवा चुके वैभव कृष्ण ने अपने तेवर अपनी पहली तैनाती में गाजीपुर में उस वक्त दिखा दी थी जब मंत्री कैलाश यादव के करीबी को हत्या के केस में जेल कि हवा खिलवा दी थी. आइये नवागंतुक पुलिस अधिक्षक बलिया वैभव कृष्ण के अब तक के कार्यकाल पर गौर करते है. 

  • 2009 में चुने गए थे आईपीएस
  • मूलरूप से आईपीएस वैभव कृष्ण वेस्ट यूपी के बागपत जिले के रहने वाले हैं।
  • वैभव कृष्ण को 2009 में आईपीएस चुना गया और 2010 में यूपी काडर मिला।
  • 6 साल की सर्विस में आईपीएस वैभव कृष्ण पर इस घटना से पहले कोई दाग नहीं था।
  • पहली पोस्टिंग जब गाजीपुर में मिली थी, तब मंत्री कैलाश यादव के करीबी को मर्डर केस में जेल भिजवा दिया था।
  • बताया जा रहा है जब तक उनकी पोस्टिंग गाजीपुर में रही वहां अपराध का ग्राफ कम रहा।
  • मंत्री के करीबी की गिरफ्तारी के बाद वह सुर्खियों में तब आए जब उनका मंत्री के इशारे पर ट्रांसफर करा दिया गया।
  • उनके ट्रांसफर के खिलाफ जनता सड़क पर उतर आई थी और ट्रांसफर वापस करने की मांग की थी।
  • आईपीएस वैभव कृष्ण मुरादाबाद के एसपी जीआरपी रहे तब अपने कार्यकाल में ट्रेनों में होने वाले अपराधों पर अंकुश लगाया।
  • अपने कार्यकाल में कई बड़े अपराधियों को पकड़ कर घटनाओं का खुलासा किया।
  • बुलंदशहर में भी कार्यकाल रहा ठीक
  • बुलंदशहर तैनाती के दौरान भी वैभव कृष्ण का कार्यकाल इस गैंगरेप की घटना से पहले तक ठीक था।
  • वैभव कृष्ण की मई 2016 में ही बुलंदशहर एसएसपी के पद पर पोस्टिंग हुई थी।
  • आते ही उन्होंने अपराधियों पर लगाम कसनी शुरू कर दी थी।
  • कई बड़ी घटनाओं का उनके कार्यकाल में खुलासा हुआ और शातिर अपराधी जेल गए।

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