बड़े इमामबाड़े में सम्पन्न हुआ कदीम अजादारी का 25 सफर, मौलाना सारिब अब्बास ने किया मजलिस खिताब

अनंत कुशवाहा 

अम्बेडकरनगर। कदीम अजादारी 25 सफर बड़े इमाम बाड़े में संपन्न हुई जिसमे देश की मशहूर अंजुमनों ने नौहा खानी और सीना जनी की। कार्यक्रम में मजलिस को खिताब करते मौलाना शारिब अब्बास ने कहा इस्लाम को लेकर यह गलतफहमी है और फैलाई जाती है कि इस्लाम में औरत को कमतर समझा जाता है। सच्चाई इसके उलट है। हम इस्लाम का अध्ययन करें तो पता चलता है कि इस्लाम ने महिला को चैदह सौ  साल पहले वह मुकाम दिया है जो आज के कानून दां भी उसे नहीं दे पाए।

मौलाना ने मजलिस को खिताब करते हर कहा शायद आपको हैरत हो कि इस्लाम ने साढ़े चैदह सौ साल पहले स्त्री को दुनिया में आने के साथ ही अधिकारों की शुरुआत कर दी और उसे जीने का अधिकार दिया।इस्लाम के पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-बेटी होने पर जो कोई उसे जिंदा नहीं गाड़ेगा (यानी जीने का अधिकार देगा), उसे अपमानित नहीं करेगा और अपने बेटे को बेटी पर तरजीह नहीं देगा तो अल्लाह ऐसे शख्स को जन्नत में जगह देगा मजलिस को खिताब करते मौलाना शारिब ने कहा इमाम खैमे से रुखसत हुए और मैदान में आये। ऐसे हाल में जब की कोई मददगार और साथी नहीं था और न ही विजय प्राप्त करने की कोई उम्मीद थी फिर भी इमाम हुसैन (अ) बढ़ बढ़ कर हमले कर रहे थे। वह शेर की तरह झपट रहे थे और यजीदी फौज के किराए के टट्टू अपनी जान बचाने की पनाह मांग रहे थे। किसी में इतनी हिम्मत नहीं थी की वह अकेले बढ़ कर इमाम हुसैन (अ) पर हमला करता। बड़े बड़े सूरमा दूर खड़े हो कर जान बचा कर भागने वालों का तमाशा देख रहे थे। इस हालत को देख कर यजीदी फौज का कमांडर शिम्र चिल्लाया कि “खड़े हुए क्या देख रहे हो? इन्हें धोखे से कत्ल कर दो, सारी फौज ने मिल कर चारों तरफ से हमला कर दिया। हर तरफ से तलवारों, तीरों और नैजों की बारिश होने लगी आखिर में सैंकड़ों जख्म खाकर इमाम हुसैन (अ) घोड़े की पीठ से गिर पड़े।इमाम जैसे ही मैदान-ए-जंग में गिरे, इमाम का कातिल उनका सर काटने के लिए बढ़ा। उसने मानवता का चिराग गुल कर दिया। इमाम हुसैन (अ) तो शहीद हो गए लेकिन कयामत तक यह बात अपने खून से लिख गए कि जिहाद किसी पर हमला करने का नाम नहीं है बल्कि अपनी जान दे कर इंसानियत की हिफाजत करने का नाम है इमाम हुसैन की शहादत के बाद यजीद की सेनाओं ने अमानवीय, क्रूर और बेरहम आदतों के तहत इमाम हुसैन की लाश पर घोड़े दौड़ाये। इमाम हुसैन के खेमों में आग लगा दी गई। उनके परिवार को डराने और आतंकित करने के लिए छोटे छोटे बच्चों के साथ मार पीट की गई। कदीम अजादारी में लोरपुर की अंजुमन हुसैनिया का नौहा या अट्ठारहवे बरस में मेरा लाल मर गया, को लोगो ने खूब पसनद किया जिसमें कलाम मौलाना अदीब आजमी साहब के थे जिसे नौहा खान नय्यर खान और मौलाना शब्बर हुसैन की पुरसोज अंदाज में पढ़ा है कदीम शब्बेदारी में देश की मशहूर अंजुमन गरीबुल हुसैन मुम्बरा,मुम्बई महाराष्ट्र,अन्जुमन हैदरी चैक, बनारस,अन्जुमन अजाए हुसैन सिरौली सुल्तानपुर, अन्जुमन सिपाहे हुसैनी भनौली सादात सुल्तानपुर, अन्जुमन अजाए हुसैन जाफराबाद जलालपुर, अन्जुमन हुसैनिया (रजि०) हुसैनाबाद लोरपुर, अन्जुमन सफीरे नासिरुलअजा कटघरकमाल, अन्जुमन हैदरिया कदीम अब्दुल्लाहपुर अकबरपुर अदि अंजुमनों ने नौहा खानी की। कार्यक्रम में मुख्यरूप से मौलाना मो असगर शारिब साहब सिंझौली अकबरपुर, मौलाना सैयद अली गौहर साहब इलाहाबाद मौलाना शुजा हैदर जैदी साहब बिजनौर,मौलाना मो अब्बास साहब मौलाना गुलाम मुर्तजा साहब ने खिताब किया कार्यक्रम  अजादारी में मुख्यरूप से यासिर हुसैन,अजमी अब्बास रेहान अब्बास , वसी रजा, हसन हैदर, समर अब्बास, राशिद जफर, जैघम अब्बास, पन्नू, अरबी, रेहान जैदी, आदि मौजूद रहे।

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