ग्रामीण की परेशानी का सबब बने 500-1000 के नोट

अखिलेश सैनी
बलिया 500 व 1000 के नोट बंद होने से बुधवार को दिन भर लोग हलकान रहे. हर चट्टी चौराहों पर मोदी सरकार के नोट के फैसले की चर्चा होतो रही. शादी विवाह के मौसम में इस तरह के फैसले को लेकर लोग रुष्ट दिखे. ग्रामीण व अर्ध शहरी क्षेत्रों में सरकार के निर्णय से नाराजगी रही.

बाजारों में क्रय विक्रय प्रभावित रहा. विशेष कर यह चर्चा रही कि नई मुद्रा दो दिन के अंदर ग्रामीण व अर्ध शहरी क्षेत्रों में आ जायेगी. ग्रामीण क्षेत्रों में लोग 500 व 1000 रुपये के नोट लेकर खुल्ला कराने के लिए दिन भर चक्रमण करते रहे. बाजारों की स्थिति यह रही की दुकानदार 500 व 1000 रुपये के नोट लेने से मना कर रहे थे. निम्न आय वर्ग की ग्रामीण महिलाएं खास तौर से परेशान दिखी.
बांसडीह निवासी उमाशंकर पांडेय ने कहा कि 24 नवम्बर को शादी है, चिंता यह है कि उस दिन तक नोटों का सुचारु रूप से चलन हो जाएगा. बैंक से कैसे लेन देन होगा. जबकि सप्ताह में बीस हजार रुपये ही निकलना है. कांग्रेस के नेता उमा शंकर पाठक ने कहा कि यह तुगलकी फरमान है. इस तरह मध्यम वर्ग के लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा, और पड़ रहा है. किसान पेट्रोल पम्प से खाद व बीज की दुकान से लौट  रहे है.
सपा नेता नीरज सिंह गुड़ु ने कहा कि शादी विवाह के मौसम में इस तरह का निर्णय उठाने से पहले सोचना चाहिए. मध्यम वर्गीय परिवार को ध्यान में रखकर यह तुगलकी फरमान जारी करना चाहिए, जिसके घर आज या कल शादी होनी है, उनका काम कैसे चलेगा. कांग्रेस नेता प्रतुल ओझा ने कहा कि यह कदम सोच समझकर उठाना चाहिए था. ब्लैकमनी वापस तो आएगी लेकिन इसके चलते मध्यम वर्ग के लोग परेशान होंगे. बाजारों में अफरातफरी का माहौल है. पैसा तो लोग बाजारों में ले कर जा रहे हैं. लेकिन सामान उनको नहीं मिल रहा है. कुल मिलाकर इससे ग्रामीण ही परेशान हो रहे है.

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