कार्यालय में घोर भ्रष्टाचार का बोलबाला – डॉ इंद्र कुमार
अखिलेश सैनी.
बलिया. आयुक्त ग्राम्य विकास लखनऊ को दिनांक 19 सितंबर 2012 को भेजी अपनी रिपोर्ट में मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी , डीआरडीए बलिया डॉ इंद्र कुमार ने कार्यालय को घोर भ्रष्टाचार का अड्डा बता कर यहां की पूरी राम कहानी बयां कर दी है । साक्ष्यों के द्वारा भ्रष्टाचार को साबित करने के बाद डॉ कुमार ने साफ शब्दों में लिखा है कि आवास आवंटन में हरेराम कुमार और बीरेंद्र राम द्वारा विकास खंड के अधिकारियो ,कर्मचारियों,ग्राम प्रधानों व सचिवों के साथ मिलकर भ्रष्टाचार करने के लिये अनियमितताएं की गयी है और कार्यालय में घोर भ्रष्टाचार का वातावरण बना दिया गया है ।
इन दोनों कर्मचारियों द्वारा भ्रष्टाचार करके काफी धन अर्जित किया गया है । डॉ कुमार ने साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत सूचनाओं को एमआईएस से संकलित किया हुआ और ये भी कहाँ है कि इन दोनों कर्मचारियों से पत्रावलियां मांगने पर उपलब्ध नहीं कराई गई जिससे यह संदेह और गहरा हो रहा है कि इन दोनों द्वारा और भी अनियमितताएं की गयी है जो विस्तृत जांच से ही पकड़ में आ पाएंगी । डॉ कुमार ने विभागीय जांच कराने के लिये अपनी संस्तुति दी है । डॉ कुमार ने अपनी रिपोर्ट में आगे लिखा है कि दोनों कर्मचारी काफी राजनैतिक प्रभाव वाले व दबंग कर्मचारी है । ये अपने कार्यो हेतु क्षेत्रीय विधायको एवं मंत्रियो से पूर्ण दबाव बनवाते है तथा विधायको से अधिकारियो के पास फोन भी करवाते है । यही नहीं डॉ कुमार ने आगे लिखा है कि इस कार्यालय में होने वाली किसी भी जाँच को ये किसी भी स्तर तक प्रभावित कर सकते है और उसपर करवाई तक रुकवा सकते है । डॉ कुमार ने आयुक्त ग्राम्य विकास से साफ कहाँ है कि जाँच किये जाने से पूर्व इनके गैर जनपद स्थानांतरण कर दिया जाय जिससे ये लोग जाँच को प्रभावित न कर सके ।साथ ही डॉ कुमार ने इनकी संपत्ति के संबंध में आय से अधिक संपत्ति की जाँच कराये जाने की अपनी संस्तुति दी है ।
तो सुर्खाब के पर वाले है जेई रविश चंद श्रीवास्तव।
डीआरडीए बलिया आजकल तरह तरह की बातों से चर्चा में बना रह रहा है । परत दर परत जैसे जैसे इसके भ्रष्टाचार की पोल खुल रही है , वैसे वैसे नये नये कारनामे भी उजागर हो रहे है । सूत्रों की माने तो यहां सांसद और विधायक निधियों में जो धांधली उजागर हो रही है उसमें 18 नवम्बर 2014 से बलिया में अटैच गोरखपुर के अवर अभियंता रविश चंद श्रीवास्तव का नाम जुड़ता जा रहा है । इनके नाम जुड़ने पर तरह तरह की चर्चाये भी हो रही है । लोगो का यहाँ तक कहना है कि भ्रष्टाचार में भागीदारी ही इनको गोरखपुर के बाद बलिया का कार्यभार ग्रहण कराया है अन्यथा इनके पास सुर्खाब के पर थोड़े लगा है जो नजदीकी जनपदों मऊ और गाज़ीपुर में तैनात अवर अभियंताओं को दरकिनार कर लगभग 200 किमी दूर से संबद्ध किया गया है । इनकी बलिया में एक और खाशियत मशहूर है इनकी गाड़ी में तेल भरवाये और अपनी रिपोर्ट लगवा लीजिये । इनकी रिपोर्ट सहायक अभियंता डीआरडीए बलिया को बाई पास करके सीधे उच्चाधिकारियों के पास पहुँच जाती है । शासन और स्थानीय सांठगांठ का चमत्कारिक नतीजा है जेई रविश चंद श्रीवास्तव ।