पिता की सेवा करना आपका कर्तव्य है: शास्त्री

(अनंत कुशवाहा)
अम्बेडकरनगर। श्रीमद्भागवत गीता सप्ताह ज्ञान यज्ञ के अंतर्गत अनवरत आज कथा के पंचम दिवस शुक्रवार को श्री कृष्ण जन्म की आनंदमयी कथा का रसपान कराते हुए शास्त्री जी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि उसी प्राणी का जन्म सार्थक है जिसके जीवन में भगवन की भक्ति आ जाये और आज इस कथा के माध्यम से भगवन के जन्म व अनेकों लीलाओं का गान किया गया। लाख कठिन परिस्थिति हो, लाख दुश्मन खड़े हो परन्तु कुछ भी अनभल नहीं हो सकता यदि आप मन से सत्य और धर्म के साथ रहें। जैसे कंस के अथक प्रयास करने के बाद भी धर्म की रक्षा करने एवं अधर्म का नाश करने के लिए भगवान ने कंस के ही कारागार में ’कृष्णावतार’ लिया। परन्तु कंस श्री कृष्णा जी का बाल भी बांका न कर सका। भक्ति मय श्रीमद्भागवत कथा के यजमान श्री राम छयल तिवारी निवासी सीहमई कारीरात ने कहा कि ईष्वर की कृपा से इस अमृतमय कथा का श्रवण कर मेरा जीवन धन्य हो रहा हैं। संगीत मय कथा में पं० बालमुकुंद शास्त्री एवं वाद्ययंत्र वादकों का भी सराहनीय योगदान रहता है। कथा आयोजक श्री शत्रुजीत तिवारी है जिनकी देखरेख में कथा सम्पन्न हो रही है। सप्त दिवसीय कथा का सुभारम्भ 21 नवम्बर को एवं पूर्णाहुति 28 नवम्बर को है।

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