एक हजार और पाँच सौ रुपयों के बंद होने की घोषणा से देश भर में मची अफरा- तफरी
प्रधानमंत्री के अचानक आये इस विचार और तुरंत उसकी घोषणा से देश की जनता को हिलाकर रख दिया है जहाँ देखो वहाँ उनकी इस तरह की घोषणा की चर्चा की जा रही है किसी को समझ में नहीं आ रहा है कि अचानक से एक हजार और पाँच सौ के नोटों के बंद करने का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा कैसे ले लिया गया। लोगों का कहना है कि क्या वह अपना वायदा पूरा कर रहें है या फिर कुछ और क्योंकि उनके द्वारा चुनाव के समय यह घोषणा की गयी थी कि मैं देश में काला धन वापस लाऊगा
यदि यह सच है तो फिर शायद भूल गये कि माननीय मोदी ने यह कहा था कि हमारे लोगों के द्वारा जो विदेशी बैंकों में जो काला धन जमा किया गया उसे वह किसी भी कीमत पर लायेगें देश में से ही नहीं। फिलहाल इस पर कोई चर्चा करना बेगार ही है। परंतु एक हजार और पाँच सौ रुपयों के बंद होने के कारण हो सकता है कि कहीं न कहीं हमारी राजस्व मे कमी न हो जाये क्योंकि इस तरह से अचानक नोटों के बंद होने से कहीं न कहीं इसका विपरीत प्रभाव जरूर पड़ेगा। अभी कुछ दिन पूर्व ही दस के सिक्को के कारण हर जगह हो हल्ला मचा हुआ था जिसमें लोगों के द्वारा यह अफवाह उड़ाई गयी थी कि सिक्के चलने बंद हो गये हैं और उसके बाद अफवाह उड़ाई गयी कि उसमें कुछ सिक्के नकली है जो अखबार टीवी चैनलों की सुर्खिया बने रहे और फिर कुछ दिनों के बाद सब सामान्य हो गया। परंतु इसमें भी खास बात रही थी कि सिक्कों के बंद होने की अफवाह लोगों के द्वारा नहीं बल्कि खुद बैंकों के द्वारा उड़ाई गयी थी क्योंकि इसमें बैंक के कर्मचारियों को सिक्को को गिरने में समस्या हो रही थी।
फिलहाल जो भी रहा हो परंतु इस तरह से नोटों के बंद होने से हाहकार मच गया है। पेट्रोल पम्पों पर रूपयों का लेन देने बंद कर दिया गया है जिससे लोगों में आपसी मुठभेड़ भी शुरू हो गयी है जहा कल रात सडको और नुक्कड़ो को इस चर्चा ने पूरी रात गुलज़ार रखा वही कल इस फैसले के आने के बाद ही पेट्रोल पम्प पर वाहनों की लम्बी कतारे लगना शुरू हो गई थी.अंततः कई जगहों पर पेट्रोल पंप मालिक पम्प बंद कर भाग गए कही कही तो पुलिस को इस अव्यवस्था नियंत्रित करने के लिए लाठिया सडको पर पटकनी पड़ी.
सभी बैंक के एटीएम पूरी रात व्यस्त रहे. खास तौर पर नगद जमा करने की मशीन पर लम्बी लाइन लगी हुई थी. लोग एक दुसरे से धक्का मुक्की कर रहे थे. ऐसी स्थिति लगभग हर शहरों में थी. इसका सबसे ज्यादा असर देखने को मिला उन गरीब तबको के साथ जो सिर्फ चंद हज़ार रुपया जमा कर उसको अपनी ज़िन्दगी भर की कमाई समझ रहा था.इस फैसले से खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है.उसके लिए उसकी लगभग ज़िन्दगी भर की बचत ही शुन्य होती दिखाई दे रही है.