शास्त्र और शस्त्र के समायोजन से नारी उत्थान – प्रह्लाद गुप्ता की स्पेशल रिपोर्ट
वाराणसी.प्रह्लाद गुप्ता
शास्त्र और शस्त्र का समायोजन भारतीय संस्कृति में आदिकाल से रही है जिसमे भारतीय पुरुष फिर चाहे वो राजा का पुत्र हो या कोई आम बालक वो ऋषि मुनि के आश्रम में जाकर ही ये दोनों ज्ञान की प्राप्ति करते थे ।इनमे से उस काल में कई महिलाएं भी थी जिन्होंने संस्कृति सीखते हुए शास्त्र और शस्त्र कौशल में निपुणता प्राप्त की ।जिसका उदहारण आप रानी लक्ष्मी बाई ,विदुशा,गार्गी और कैकई से भी ले सकते है ।लेकिन मध्यकाल में पुरुषों को तो इन दोनों को ज्ञान प्राप्त होता रहा पर स्त्रियां इससे वंचित होती गयी । लेकिन अब एक बार फिर धर्म नगरी काशी में नारी उत्थान के लिए शास्त्र और शस्त्र के माध्यम से ज्ञान दिया जा रहा है। जहाँ लडकियां जितना शास्त्र में निपूर्ण हो रही है तो वही शस्त्र कला में महारथ हासिल कर रही है ।इनके शस्त्र कौशल को देख लोग आश्चर्य चकित हो रहे है।
आपने इस पुरुष प्रधान देश में पुरुषों को कर्म कांड या वैदिक मन्त्र का उच्चारण करते हुए देखा होगा मगर लड़कियों को शायद ही। आप खुद देख सकते हैं कि किस तरह ये लडकियां मंत्रोचार के साथ यज्ञ में आहुति दे रही है ।ये कड़कियां कुछ साधारण मन्त्र बोलकर ही ये सब नहीं कर रही है बल्कि इन्हें वैदिक मंत्रों और कर्मकांड की पूरी जानकारी है जो इन्हें धर्म नगरी काशी में स्थति पाडिनी संस्कृत कन्या महाविद्यालय से प्राप्त होती है ।आज के परिवेश में ये एक ऐसा आश्रम हैं जिसके बारे में हम सिरियल में देखते हैं जिसमे राजकुमार आश्रम में जाकर शास्त्र और शस्त्र विद्या ग्रहण करते है लेकिन बनारस में 1971 से चल रहा ये विद्यालय आदिकाल के आश्रमो की तरह सिर्फ और सिर्फ लड़कियों को यहाँ शास्त्र और शस्त्र का ज्ञान दे रहा है।
1971 मे इस गुरुकुल कि स्थापना की गयी थी यहा कि वेदपाठी लड़कियां 16 संस्कार के साथ हर कर्म काण्ड को कराने मे भी निपुण है कर्मकाण्ड के जरिए विवाह ,कर्ण भेदन ,उपनयन ,शमशान पर दाह संस्कार तक यहा कि लड़किया कराती है ।संस्कृत और योग भारत की पहचान है ।ये बच्चियां गुरुकुल मे मार्डन एजुकेशन (कंपीयूटर ,अंग्रेजी ,जुडो कराटे )के साथ वेद शास्त्र की शिक्षा लेती है 125 से उपर लड़कियों को इस महाविद्यालय में शिक्षा दी जाती है
रानी लक्ष्मी बाई ,गार्गी ,और विदुषी को पूरा विश्व जानता है मगर जब आप यहां संस्कृत बोलने वाली इन छात्राओं का जब शस्त्र अभ्यास देखेंगे तो आपको रानी लक्ष्मी बाई की वही तश्वीर सामने आएगी जैसा की हम किताबो में पड़ते आ रहे हैं ।नारियों के आत्मरक्षा के लिए यहाँ वेद के साथ शस्त्रो का भी कुशल शिक्षा दे जाती है ।यहाँ तलवार ,लाठी,और एयरगन तक की इन लड़कियों को रोज अभ्यास कराया जाता है ।आप खुद देख सकते है कि किस तरह ये लडकियां तलवार बाजी ,तो लाठियां भाज रही है तो बंदूकों से खेल रही है ।इन्हें पूरी सैन्य शक्ति और परेड के गुण सिखाये जाते हैं जिसमे इन्हें देशभक्ति का जज्बा भी डाला जाता है ताकि जरुरत पड़े तो ये अपने आत्मरक्षा के साथ देश की सेवा भी कर सके ।शास्त्र और शस्त्र का ज्ञान ले रही ये लड़कियां काफी संतुष्ठ है इनका कहना है कि नारी उत्थान तभी संभव है जब नारी शास्त्र और शस्त्र का ज्ञान दोनों एक साथ ले सके ।
इन छात्राओं के इस शस्त्र अभ्यास प्रदर्शनी में आज उनके अभिभावक भी उपस्थित हुए ।जहाँ उन्होंने जब अपनी लड़कियों को शास्त्र और शस्त्र में कुशल देखा तो उन्हें काफी प्रशन्नता हुई ।उनका कहना था कि हमारी भारतीय संस्कृति ही हमारी पहचान है वैदिक शिक्षा के साथ यहाँ आधुनिक शिक्षा से जो उत्थान हो रहा है वहीँ भारतीय पहचान है ।
आधुनिक शिक्षा नीति में हमारी भारतीय वैदिक संस्कृति की शिक्षा विलुप्त सी होती गयी हैं , ऐसे में एक बार फिर से आदिकाल की शिक्षा लेते हुए नारी उत्थान के लिए खुला ये ये संस्कृत कन्या महाविद्यालय जो नारियों की भारतीय वैदिक परंपरा के अनुसार शास्त्र और शस्त्र का ज्ञाम समाहित कर के नारियों को स्वालंबी बना रहा हैं जिसमे एक छत्र राज सिर्फ और सिर्फ पुरुषो का हैं जिसमे अब महिलायें भी कर्मकांड ,ज्योतिष और आत्मरक्षा गुण वो भी भारतीय संस्कृति के अनुसार सिख कर अपने जीवन में उतार रही हैं उससे नई शिक्षा नीति में इसे समाहित करना आवश्यक हैं जहाँ भारतीय विज्ञान और भारतीय कला को एक नइ पहचान तो मिलेगी ही साथ ही नारियों के लिए एक नया आयाम भी जूडेगा ,