नोट की चोट झेलता अम्बेडकरनगर – खूब मची है मारा-मारी, कब आएगी अपनी पारी
कब आएगी अपनी बारी खूब मची है मारामारी
बैंक के बाहर ऐसे लग रही भीड़
अनंत कुशवाहा. आलापुर, अम्बेडकरनगर। यह हाल है आलापुर तहसील क्षेत्र में स्थित सभी बैंक शाखाओं का जहां पर सुबह से ही ग्राहकों की लंबी भीड़ उमड़ रही है। भीड़ का आलम यह है कि सुबह से लगने वाली भीड़ देर शाम तक पैसे के इंतजार में लंबी लाइन में खड़ी रहती है भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जहां स्थानीय प्रशासन को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है वहीं बैंक कर्मचारियों को भी ग्राहकों के आक्रोश का शिकार होना पड़ रहा है। बता दें कि बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रूपये के नोट को अवैध करार देते हुए बंद कर दिया था जिसके बाद बैंकों में ग्राहकों की लंबी भीड़ उमड़ रही है आलापुर तहसील क्षेत्र के रामनगर बाजार में स्थित भारतीय स्टेट बैंक बैंक ऑफ बड़ौदा यूनियन बैंक तथा ग्रामीण बैंक की शाखाओं में भी उपभोक्ताओं की बड़ी संख्या में भीड़ आ रही है। सहागल तथा जुताई बुवाई का समय होने के कारण किसानों को खाशी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं। रामनगर बाजार निवासी अनुज कुमार किसान नगई यादव रामदीन सालिकराम दिनेश कुमार आदि ने बताया कि पुरानी नोटों के बंद होने से व्यापार एवं खेती-बारी का कार्य बहुत प्रभावित हुआ है।वही सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर सीओ राजेंद्र सिंह थानाध्यक्ष रामअवतार मनोज सिंह रतन सिंह राकेश यादव शिव कुमार सिंह समेत कई अन्य पुलिसकर्मी व्यवस्था बनाने में जुटे रहे।
कहीं कैश तो कहीं स्याही की कमी बता नहीं बदले गये नोट
बैंको का तुगलकी फरमान लोगों पर पड़ रहा भारी, लगातार बढ़ रही लोगों की मुश्किले
अम्बेडकरनगर। नोट बदलने की आस में सुबह से ही लाइन में लगे लोगों को उस समय निराशा हाथ लगी जब बैंको के शाखा प्रबंधको ने एक तुगलकी फरमान के तहत नोट बदलने से इंकार कर दिया। कुछ शाखा प्रबंधक जहां इसका कारण कैश की कमी बता रहे थे वहीं कुछ शाखा प्रबंधको का कहना था कि स्याही की व्यवस्था होने के बाद नोट बदली जायेगी। इस हालात मंे लोगों को एक के बजाय दो लाइन में लगने को मजबूर होना पड़ा। खाता न होने के कारण नोट बदलने की आस में आये लोग वापस जाने को मजबूर हो गये। जिन लोगों का जिस बैंक में खाता था उन्होने पहले उसमें जमा करने के लिए लाइन लगायी तथा बाद मंे निकालने के लिए लाइन लगायी। दो-दो बार लाइन लगाने के कारण लोगों का आक्रोश देखते ही बन रहा था। हालात ऐसे ही रहे तो आने वाले दिनों में स्थिति बिगड़ सकती है। गुरूवार को भी इस स्थिति में सुधार की गुंजाइश नहीं है। बैंक कर्मियो की माने तो शुक्रवार से नोट बदलने की स्थिति बहाल हो सकती है।
इस प्रतिनिधि ने जब विकास भवन में स्थित पंजाब नेशनल बैंक विस्तार पटल शाखा में नोट बदलने का प्रयास किया तो वह न में जवाब मिला। बैंक आफ इंडिया में कहा गया कि कैश की कमी के कारण नोट नहीं बदला जा सकता। खाते में जमा करके आप धनराशि निकाल सकते है। सवाल यह है कि वहीं रूपया जमा करने के बाद बैंक आपको वापस रूपया दे दे रहा है लेकिन बदलने से कतरा रहा है। जाहिर है कि बैंको की मनमानी लोगो पर भारी पड़ रही है। भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य शाखा में स्याही न होने के कारण नोट बदलने में असमर्थता जतायी गयी। यहां भी खाते में ही जमा करने के बाद निकालने की व्यवस्था थी। कमोवेश यही हालत जिला मुख्यालय पर स्थित सभी बैंको की थी जिनसे लोगों को नोट बदलने के बजाय मायूसी ही हाथ लगी। एक बैंक अधिकारी की माने तो मौजूदा समय में बैंक केवल एक कार्य के अलावां और कोई काम नहीं कर पा रहा है। बैंक के सभी कर्मी इसी काम लगे है।
जिला चिकित्सालय में भी दिखा नोट बंदी का असर
अम्बेडकरनगर। नोट बंदी का असर सरकारी अस्पतालों में भी साफ देखने को मिल रहा है। रूपया बदलवाने अथवा रूपया निकालने के लिए लोगों के बैंको में लाइन लगाने के कारण चिकित्सालयों में सन्नाटा पसरा रहा। जिला चिकित्सालय की ओपीडी में इक्का-दुक्का मरीज ही देखे गये। आमतौर पर मरीजो से ठसाठस भरी रहने वाली जिला चिकित्सालय की ओपीडी लगभग खाली रही। मरीजो की कमी के कारण चिकित्सक भी आराम फरमाते देखे गये। चिकित्सालय सूत्रो की माने तो जिला चिकित्सालय में मरीजो की संख्या मे जबरदस्त कमी आयी है। आने वाले कुछ दिनों में भी अभी यहीं स्थिति बरकरार रहने की संभावना है। आपातकालीन इकाई में मरीजो की आवाजाही पर फिलहाल कोई फर्क नहीं पड़ा है।
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