इमरान सागर के कलम से एक कथा – एक था राजा….
एक राजा था, उसके कोई औलाद न थी लेकिन अपने राज्य की प्रजा को वह संतान से भी अधिक प्यार करता था! समस्त राज्य के किसी भी क्षेत्र का कोई शख्स दुख तकलीफ में तो नही है इसकी निगरानी रखने और तत्काल प्रजा के दुख का निराकरण कराने के लिए हालांकि सैकड़ो दरबारियों को कभी भी राजेश के आदेश की जरूरत नही पड़ती थी! राज्य भर में राजा के भक्तो की कमी नही थी इसके बाद भी राजा और रानी यानि दोनो को इस बात की फिक्र रहती थी कि हमारे बाद राज्य और प्रजा का ध्यान रखने की जिम्मेदारी को ठीक से निभा सकेगा! दरबार मात्र एक सिपाहसालार एैसा था जो राजा और रानी के बहुत करीब था! राजा सिपाहसालार से इतना प्यार करता था कि सिपाहसालार दो दिन दरबार न पहुंचे और कोई उसकी खबर न दे तो राजा बीमार पड़ जाता था! बक्त गुजरने के साथ राजा की उम्र भी ढ़लाव पर आनी शुरु हुई लेकिन राज्य के आवाम की दुआओं का असर की राजा और रानी दोनो ही जबान लगते थे! इतना सब कुछ होने के बाद भी दिन और रात में किसी भी समय निकाल कर राजा राज्य की खैरियत लेने के लिए भेष बदल कर निकलता जरूर था!
इसी दौरान राजा ने अपने सिपहसालार को दूसरे राज्य के काम निपटाने के लिए राज्य से बाहर भेज दिया! सिपहसालार के बाहर जाने के बाद, दिल में सत्ता का लालच दबाए बागी दरबारियों ने एक सलाह कर राज्य में फैले भक्तो को फुसलाना शुरू किया, इधर राजा बीमार हो गया! राजा की बामारी सुन राज बैध ने आकर राजा का ईलाज करना शुरु किया और बीमारी को पकड़ते हुए बताया कि महाराज आपकी उम्र तो बस दो साल और रह गई है इस लिए दबाई से अधिक खान पान का ध्यान रखे! इसी दौरान राज ज्योतिष ने भी वही बताया जो बैध ने कहा! अब राजा को अपनी बीमारी और दो साल बाद मौत होने से ज्यादा राज्य की फिक्र रहने लगी कि मेरे बाद इस राज्य का क्या होगा! राजा इसी फिक्र में जरूरत से ज्यादा कमजोर गो गया, यह खबर छपते छुपते भी राज्य भर में फैल गई! अब राज्य की रियाया महल के गेट पर जमा होकर राजा की लम्बी उम्र और सेहत सही होने की दुआ करने लग गई और भक्तगंण रियाया को सब सही है सब सही कह कर बरगलाने लगे! भक्तो से बहस करने वाले की पिटाई होती! माराज को यह खबर दी गई कि रियाया बगाबत पर उतर आई! राज्य भर में उड़ी खबर दूसरे राज्य पहुंचते ही सिपाहसालार तत्काल अपने राज्य पहुचां तो नजारा देख कर पूंछतांछ की और सीधा महल पहुंच कर बादशाह के कमरे पहुंचा और सारी बात बादशाह से पूछी! सब जानकारी और बीमारी समझने के बाद सिपहसालार ने कल दरबाल लगाने का आदेश जारी कराते हुएे बादशाह को अपने हाथ से दबा पिलाई और कहाँ महाराज इस खुराक के बाद ऊपर वाले ने चाहा तो आप जल्द ही अच्छे हो जाएगे पहले की तरह!
दरबार लगा था बादशाह अपनी जगह ऊंचाई पर बैठा था! सिपहसालार ने राजबैध और राज ज्योतिष दोनो को बुलवा लिया! किसी की भी समझ में नही आ रहा था दरबार में कि आखिर माजरा क्या है जो राज्य में आते ही सिपहसालार नें सबको तलब करवा लिया! सबके बैठ जाने पर सिपहसालार ने राज ज्योतिष से उसके करीब जाकर अचानक पूछा कि पन्डित जी यह बताईये कि बादशाह(राजा) की उम्र कितनी है!
लगभग 18 माह बाकी है, सोचते हुए राज ज्योतिष ने ऊंची आबाज़ में कहा! सिपहसालार ने जबाब मिलते ही पूछा कि आपकी कितनी उम्र बाकी है अभी! बीस साल, बीस साल उम्र बाकी है अभी मेरी! यह सिपहसालार ने कि इसका मतलब पन्डित जी आप अभी 20 साल और जियेगें! पन्डित जी:- हाँ! बस इतना सुनना था कि सिपहसालार ने मैयान से तलबार निकाल कर पन्डित का सर धड़ से अलग कर दिया! कुछ पल के लिए दरबार से बक्त जैसे थम सा गया, उधर कुछ देर तड़पने के बाद पन्डित का जिस्म ठंण्डा पड़ गया! किसी के बोलने से पहले ही सिपहसालार:- महारज यह पन्डित अभी कुछ देर पहले ही कह रहा था कि वह अभी बीस साल जिएगा परन्तु यह तो मर गया! बादशाह सहित तमाम दरबारी और शामिल बागी दरबारी अबाक़! सिपहसालार:- महाराज दुस्ताखी के लिए क्षमा चाहता हूँ, आप ही की तरह मुझे भी अपने राज्य की रियाया की चिन्ता है! मौत के बारे में ईश्वर के अलावा किसी को भी खबर नही और कोई किसी का भगवान नही! दरबार का यह नज़ारा और सिपहसालार की सत्यता(सच्ची बाते) सुन राज बैध ने बहुत सारे राज खोल दिए! राजा ठीक होने लगा और राज्य भर से बागी दरबारियों और उनके भक्तो को पकड़ कर अन्धेरी कोठरी में बन्द कर दिया गया आजीवन! राज्य में फिर से खुशहाली बहाल हो गई!