जिला चिकित्सालय में सफाई के नाम पर हो रहा मजाक,शौचालय के बगल उगी झाड़िया,

परिसर में फेंका जा रहा अस्पताली कचरा

अनंत कुशवाहा 
अम्बेडकरनगर। जिला चिकित्सालय में सफाई के नाम पर प्रति माह लाखों रूपये का भुगतान भले ही किया जा रहा है लेकिन परिसर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह बदहाल है। चिकित्सालय परिसर में गंदगी का आलम यह है कि यहां आने वाला स्वस्थ व्यक्ति भी कभी भी गंभीर रोग का शिकार हो सकता है। हैरत की बात यह है कि मुख्य चिकित्साधीक्षक अथवा अन्य किसी विभागीय कर्मचारी को यह गंदगी नहीं दिखायी पड़ रही है। मरीजों के परिजनों तथा चिकित्सालय में आने वाले अन्य लोगों के लिए चिकित्सालय परिसर में ही शौचालय की व्यवस्था की गयी है लेकिन घास फूस से घिरे इस शौचालय की स्थिति यह है कि यहां रात को कौन कहे दिन में भी किसी की जाने की हिम्मत नहीं पड़ती।
पानी की टंकी के बगल स्थित शौचालय के चारो तरफ बड़ी-बड़ी झाड़िया उग आयी है। इन झाड़ियो से होकर ही शौचालय तक पहुंचा जा सकता है। इस स्थिति में दिन में ही वहां जाने की हिम्मत नहीं पड़ती। रात में तो डर के चलते शायद ही कोई उस शौचालय में जाता हो। परिणाम यह होता है कि चिकित्सालय परिसर गंदगी से पट जा रहा है। यही हाल आयुष विंग के बगल बनाये गये कूडा स्थल का भी है। दिखावे के लिए तो दीवार के किनारे जाली लगाकर कूडे को जमा करने का काम किया गया है लेकिन हकीकत यह है कि अस्पताली कचरा आयुष विंग के बगल हर तरफ फैला देखा जा सकता है। इन परिस्थितियों में वहां पर जाना खतरे से खाली नहीं रहता लेकिन होमियोपैथ व आयुर्वेद से संबंधित चिकित्सको के वहीं बैठने के कारण लोगों का वहां जाना मजबूरी रहता है। यहीं नहीं, बगल में स्थित शव गृह पर भी अक्सर लोगों का आना जाना रहता है लेकिन गंदगी किसी को भी गंभीर बीमारी की तरफ खींच सकती है।

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