एक गाव जहा हर दर्द की दवा है सीता-राम, श्रीगणेश हुआ त्रेतायुग की मंदिर के महोत्सव का
अज़हरुद्दीन
फतेहपुर. जनपद की पश्चिमी सरहद से पाँच कि.मी. पुरब दिशा इलाहाबाद कानपुर हाइवे पर स्थित गोधरौली गांव में नित्य रसिक साकेत बिहारी ठाकुर जी विराजमान मन्दिर में सात दिवसीय धार्मिक महोत्सव का आज श्रीगणेश हो गया ! मानव सभ्यता के समूह बनाकर रहने के परिवर्तन के साथ ही इस धार्मिक स्थल का निर्माण गाँव की सोंधी मिट्टी की भीत बनाकर गांव की लकडी से पाटकर मन्दिर का आकर दिया गया,पीढिंया बितती गयी मन्दिर में निखार आता गया !
लगभग 8 हजार वर्ग मीटर में बना यह अद्वतीय स्थल कलयुग में भी त्रेतायुग का जीवान्त नमुना है, यहाँ बारहों माह होने वाले उत्सव अपने आप महोत्सव बन जाते हैं! अधिकतर गाँववासी तुलसी की माला व रामरज (पीला) व श्री (लाल) तिलक लगाते व धारण करते हैं, बोलचाल में सीताराम यहाँ के रोम रोम में रमते हैं शिष्टाचार में सीताराम ही मुँख से निकलता है! चाहे चोट लगे या दर्द कराह की जगह सीताराम ही हर पीडा की दवा है! प्राणान्त के समय भी ग्राम्य जनों के मुँह से सीताराम ही निकलता है! हो भी न क्यों ब्रम्ह बेला से ही मन्दिर की चोटी से ध्वनि विस्तारक यन्त्रों से प्रस्फुटित सीताराम की ध्वनि लहरी भक्तों के कर्ण कुहरों में संध्या सयन आरती तक पडती रहती है!