तस्वीर वि०स० टाण्डा-रामसूरत,संजू या फिर विशाल कौन होगा भाजपा का खेवनहार
टाण्डा से 14 लोगों ने की हैं टिकट के लिए दावेदारी, पर तीन ही है मजबूत
बसपा, सपा ने खोले पत्ते, भाजपा के प्रत्याशियों को लेकर कायम है असमंजस
घनश्याम भारतीय। अंबेडकरनगर
निर्वाचन आयोग द्वारा विधानसभा चुनावों की अधिसूचना जारी किये जाने के बाद चुनावी रस्सा कसी विभिन्न राजनैतिक दलों ने शुरू कर दी है। यह अलग बात है कि अभी तक बसपा और सपा ने ही पत्ते खोले हैं। केन्द्र की सत्ता रूढ भारतीय जनता पार्टी अभी तक अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं कर सकी है। माना जा रहा है कि अगले दो तीन दिनों में भाजपा के प्रत्याशियों के नाम का एलान हो जायेगा। अब टाण्डा विधानसभा को ही ले जहां भाजपा से टिकट के लिए कुल 14 लोगों ने दावेदारी की हैं। जिसमें तीन लोगों के नाम की चर्चा उपर तक बतायी जा रही है। उनमें सांसद प्रतिनिधि राम सूरत मौर्य, स्व. रामबाबू की विधवा संजू देवी और पूर्व विधान परिषद सदस्य विशाल वर्मा प्रमुख रूप से शामिल है। माना जा रहा है कि इन्हीं तीनों में से कोई एक ही टाण्डा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा का खेवनहार बनेगा।
उल्लेखनीय है कि टाण्डा विधानसभा क्षेत्र से उपरोक्त तीनों नेताओं के अलावा लीलावती वर्मा, कपिलदेव वर्मा, डा0 शिवपूजन वर्मा, राजेन्द्र अग्रवाल, मनोज मिश्रा, रूद्र प्रसाद उपाध्याय, घिसियावन मौर्या, दीपक केडिया, रफत एजाज, राजेन्द्र वर्मा और राम पलटन मिश्रा सहित कुल 14 लोगों ने भाजपा नेतृत्व से टिकट मांगे है। सभी ने अपने अपने तर्क देते हुए अपनी मजबूती का दावा पेश किया है। लेकिन सूत्र बताते है कि राम सूरत मौर्य संजू देवी अथवा विशाल वर्मा में से कोई एक ही यहां से प्रत्याशी घोषित होगा। क्योंकि इन तीनों की मजबूत दावेदारी पार्टी नेतृत्व तक पहुच चुकी है। और सबके अपने अपने तर्क भी है। इन्हीं तर्काे के बीच सियासी पंडित भी अपने तर्को की सीढी से एलान की मंजिल तक पहुचने की कोशिश में लगे है। ऐसे लोगों की माने तो यदि संगठन ने सक्रिय सहभागिता और योगदान को प्रमुख आधार बनाया गया तो राम सूरत मौर्य को दाव पर लगाया जा सकता है। लेकिन यदि सहानुभूति को आधार मान कर टिकट का बटवारा हुआ तो निश्चित रूप से संजू देवी भारी पडेगी। इन सबके बीच भाव भंगिमा और भौकाल को आधार बनाया गया तो पूर्व विधान परिषद सदस्य विशाल वर्मा किसी से कम नहीं होगें। दूसरी सबसे अहम बात यह कि सभी 14 दावेदारों में से एक को छोड सभी ने पार्टी नेतृत्व को भेज पत्र में विशाल वर्मा को नकार भी दिया है। और यदि आर्थिक आधार को प्रमुखता दी गयी तो राम सूरत मौर्य स्वतः मैदान से बाहर हो जायेंगे।
सबसे अहम बात यह कि मौजूदा सियासी दौर में पराक्रम के बजाय परिक्रमा को ही महत्व दिया जाना लगा है। ऐसे में तमाम तरह के सवाल उठना लाजमी है। दूसरी तरफ सबसे मजबूत दावेदार के रूप में उभर उपरोक्त तीनों नेताओं के पार्टी के शीर्ष नेताओं से अलग अलग तरह के सम्बन्ध भी बताये जा रहे है। उसके अनुसार स्थानीय सांसद डा0 हरिओम पाण्डेय प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या और केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह का यदि टिकट बटवारे में कोई रोल रहा तो राम सूरत मौर्या सबसे मजबूत होंगे। लेकिन यदि योगी आदित्यनाथ और पार्टी के संगठन महामंत्री सुनील बंशल व हिन्दू नेता प्रवीण तोगडिया प्रभावी रहें तो संजू देवी सबसे मजबूत साबित हो सकती है। लेकिन इन्हीं सब के बीच टिकट बटवारे में यदि पार्टी के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का दबदबा रहा तो विशाल वर्मा सर्वाधित सशक्त उम्मीदवार के रूप में सामने आयेंगे। तब उनका टिकट मिलना लगभग तय होगा। फिलहाल सारा परिदृश्य अगले दो तीन दिनों में सामने आ ही जायेगा।