यहां तो खुलेआम उड़ायी जा रही आचार संहिता की धज्जियां
अनंत कुशवाहा
अम्बेडकरनगर। आदर्श आचार संहिता उल्लंघन करने में जिला पंचायत अव्वल साबित हो रहां हैं। ताजा मामला कटेहरी विकासखंड के खेमापुर गांव का है जहां अकबरपुर-फैजाबाद मुख्य राज्य मार्ग से एक लिंक मार्ग सीसी रोड का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। हैरानी की बात तो यह है कि मुख्य राजमार्ग पर जब आचार संहिता के ठेंगा दिखाया जा रहा है तो अन्य स्थानों की क्या दशा होगी ।
जिला पंचायत द्वारा सड़क निर्माण कार्य के लिए पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि के तहत कटेहरी विकासखंड के खेमापुर गांव में मुख्य राजमार्ग से अनुरुध सिंह के घर तक सीसी रोड के निर्माण कार्य के लिए 12 लाख रुपए अवमुक्त मुक्त किए गए थे। इस कार्य के लिए पूर्व में टेंडर तो कराया गया था, किंतु चुनाव आचार संहिता से पूर्व कार्य नहीं शुरू हुआ था। आचार संहिता में नए कार्य नहीं शुरू किए जा सकते हैं पुरानी या ऐसे कार्य जिन पर निर्माण कार्य चल रहा हो अथवा अधूरा हो उस पर कार्य किया जा सकता है किंतु आचार संहिता के नियमों को ठेंगा दिखाते हुए जिला पंचायत द्वारा ठेकेदारों की मदद से इस ग्राम सभा में कार्य शुरू कर दिया गया। ग्रामीणों का कहना है कि निर्माण कार्य 26 जनवरी के बाद शुरू कराया गया है। सीसी रोड के निर्माण के लिए साइड में साइड वॉल की जुड़ाई भी की जा रही है जिसके बाद गिट्टी बिछाकर उसके ऊपर पन्नी आदि डालकर सीसी रोड की ढलाई की जाएगी। कार्य की शुरुआत एजिंग से ही होती है जिसका कार्य ठेकेदार ने आचार संहिता में ही कर दिया। पूर्व में भी ग्रामसभा खेवार में जो कि कटेहरी विकासखंड में ही आता है, जिला पंचायत द्वारा एक निर्माण कार्य आचार संहिता लागू होने के बाद कराया जा रहा था। समाचार पत्रों में प्रकाशन के बाद निर्माण कार्य तो रुक गया लेकिन इसके बाद इसी विकास खंड के ग्रामसभा खेमापुर में निर्माण कार्य जिला पंचायत द्वारा पुनः शुरू कर दिया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि जिला पंचायत कर्मचारियों की मिलीभगत से निर्माण कार्य कराया जा रहा है। अभी तक इस ग्रामसभा में कोई भी सड़क का कार्य किसी भी निधि से नहीं हुआ है चाहे वह विधायक निधि हो या सांसद निधि या फिर पूर्वांचल विकास निधि जिसका फायदा जिला पंचायत द्वारा चुनाव में उठा कर वोट को भुनाने का प्रयास किया जा सकता है। इससे जहां एक और चुनाव प्रभावित होंगे वहीं दूसरी तरफ आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन भी किया जा रहा है। जिला पंचायत द्वारा दिसंबर माह के द्वितीय सप्ताह में टेंडर की प्रक्रिया संपन्न कराई गई थी जिसके महज दो सप्ताह बाद ही आचार संहिता की घोषणा हो गई थी, जिससे पेपर आदि कंप्लीट करने के बाद कार्यों को आचार संहिता में भी शुरू कराने में गुरेज नहीं किया गया। ठेकेदारी से जुड़े लोगों का कहना है कि ऐसे कार्य जिनको आचार संहिता में कराया जाता है उसमें विभागीय संलिप्तता होती है।