गोपियों के प्रेम के आगे उद्धव का ज्ञान फीका पड़ जाता है – गर्गाचार्य जी महाराज
अखिलेश सैनी
बलिया नगरा। क्षेत्र के नरही में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह महायज्ञ में रविवार को काशी से पधारे कथा वाचक गर्गाचार्य जी महाराज ने लोगो को संगीतमय कथा का अमृतपान कराते हुए कहा कि भगवान ने मथुरा जाकर कंस, चाणूर और मुष्टिक जैसे आतताइयों का संहार कर जनता को भय मुक्त किया। उन्होंने बताया कि मथुरा से जब भगवान कृष्ण ज्ञानी पंडित उद्घव को कृष्ण प्रेम में डूबी गोपियों को समझाने भेजते हैं तो गोपियों के प्रेम के आगे उद्धव का ज्ञान फीका पड़ जाता है साथ ही उन्हें जो ज्ञानी होने का अभिमान है वह भी समाप्त हो जाता है।गर्गाचार्य जी ने गोपियो और उद्घव के बीच ज्ञान व प्रेम से जुड़े संवादों का ऐसा मार्मिक वर्णन किया कि श्रोताओं के नेत्रों से अश्रु जलधारा बहने लगी। उद्घव कृष्ण प्रेम में डूबी गोपियों को समझाने में असमर्थ रहे।उन्होंने आगे जरासंध के साथ हुए युद्घ के बारे में बताया कि 13 अक्षोहणी सेना लेकर जरासंध ने 17 बार भगवान पर आक्रमण किया और मुंह की खाई। जब 18वीं बार 11हजार ब्राह्मïणों को साथ बैठाकर जरासंध ने आक्रमण किया तो भगवान ने ब्राह्मïणों की रक्षा के लिए श्रीकृष्ण रण छोड़ कर भाग गए तभी से उनका नाम रणछोड़ भी पड़ गया।मौजूद सैकड़ो श्रोताओ को संगीतमय कथा का रसपान कराते हुए कथावाचक ने कृष्ण सत्यभामा विवाह का अन्य प्रसंगो का सुंदर वर्णन किया।कृष्ण और सत्यभामा विवाह सुनकर सभी श्रोता प्रेम से भाव विभोर हो गए।कथा के बीच बीच में ज्ञान जी ने संगीतमय भजन सुनाकर श्रोताओ को झूमने पर मजबूर कर दिया।इस अवसर पर आयोजक विजय नारायण सिंह,अर्जुन गोपालन,राजेश सिंह,प्रदीप मिश्र,सुनील राय,प्रमोद सिंह,ओमप्रकाश सिंह,आदित्यनारायन सहित भारी संख्या में पुरूष महिलाए मौजूद रही।