नही रहे बुनकर बिरादराना तन्जीम बाईसी के सरदार हाजी नेज़ामुद्दीन साहब

(जावेद अंसारी)
वाराणसी। बुनकर बिरादराना तन्जीम बाईसी के सरदार हाजी नेज़ामुद्दीन साहब का बिती रात 1:30 बजे सुभम हास्पिटल में लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया, आपको बता दे कि हाजी नेज़ामुद्दीन की पैदाईश 1923 में हुई थी, 1981 में सरदार हारून के निधन होने के बाद हाजी नेज़ामुद्दीन साहब को बाईसी का सरदार चुना गया था, और तब से लेकर आजतक उन्होंने गंगा जमूनी तहज़ीब का पैगाम इस बनारस कि सर ज़मी से दिया हाजी नेज़ामुद्दीन कि ही देख रेख में हर वर्ष लाखों की तादाद में बुनकर अपना अपना कारोबार बंद कर ईदगाह पूरानापुल में अगाहनी जुमे की नमाज़ अदा करते है, और मुल्क की तरक्की अम्नो आमान और कारोबार में बरकत के लिए दुआ होती है, और अपने बुनकर समाज का हमेशा भला किया, और बुनकर की परेशानियों को और प्रदेश के सरकारों को हमेशा उनके संज्ञान में दिया, और हमेशा बुनकर की परेशानी को दुर करने के लिए लड़ते रहे, सरदार साहब के निधन होने की खबर सुनते ही लोग अपने अपने कारखाने बाहर आ गये, पूरा मोहल्ले के लोग हैरान हो गये, बहरहाल बाईसी के सरदार के निधन कि खबर जैसे ही स्कूल मदरसे तक पहुंची उनके गम में सीटी गर्ल्स स्कूल सहित तमाम क्षेत्र के स्कुल मदरसे में दुआ खानी के बाद बन्द कर दिया गया, सरदार साहब अपने पिछे पाॅच पुत्र एवं दो पुत्री छोड़ गये, पत्रों में मुनीर, हाफिज असलम, इम्तियाज, जमील, इकबाल पप्पू है।
इस मौके पर मौजूद, हाजी कलाम तौलिया, साबू नक्सेबंद, हाजी बाऊ, अफरोज अंसारी, हाजी ओकास अंसारी, हाजी रईस एडवोकेट, पार्षद गुलसन, पूर्व पार्षद समीम, हाजी कलाम, नूरूल हसन, सकील, हाजी यासीन, गुलाम, दरोगा, सहित हजारों की तादाद में लोग जनाज़े में शामिल हुए, गाजीमियाॅ कब्रिस्तान में सरदार साहब को दफन किया गया।

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