क्या मानवीय संवेदनाओ को ताक पर रखकर कार्य करती है जीआरपी कानपुर
एक छात्र का किया कैरियर खराबगिरफ्तार लडको की माँ का आरोप सौदा तय ना होने पर मुकदमा दर्ज कर भेजा जेल
कानपुर 29/ 1/17, विवादों में घिरे रहने वाली राजकीय रेलवे पुलिस एक बार फिर सवालों के घेरे में है पीड़िता आशा देवी का आरोप है कि मेरे दोनों बेटे हरी शर्मा व राजा शर्मा को चौकी इंचार्ज अमित पांडे ने रेलवे स्टेशन से उठाकर हवालात में बंद कर दिया और 3 दिन तक हरि शर्मा को हवालात में बंद रखा छोटे बेटे राजा शर्मा को हवालात के बाहर बैठा कर रखा पीड़िता ने बताया जब मैंने इस संबंध में थाना अध्यक्ष सतीश कुमार गौतम से पूछा तो उन्होंने बताया कि यह लोग मारपीट कर रहे थे जबकि मैंने उनको बताया मेरा छोटा बेटा हरि शर्मा B.Sc का छात्र है उसका कैरियर खराब हो जाएगा तो उन्होंने छोड़ देने का आश्वासन देकर मुझे थाने से भगा दिया इसका वीडियो भी मेरे पास है और अब बड़े बेटे को चोरी की धारा लगा कर जेल भेज रहे हैं छोटे बेटे को भी 3 दिन से थाने में बैठा कर रखा है
क्या था मामला
पीड़िता के मुताबिक दिनांक 27/1/ 17 को शाम 4:00 बजे निवास स्थान बगाही से मेरे दोनों बेटे रेलवे स्टेशन से रूरा जाने के लिए निकले थे मेरा बड़ा बेटा हरि शर्मा बाजार में दुकान लगाता है उसी के साथ मेरा छोटा बेटा राजा शर्मा भी गया था तभी आपस में इन लोगों मैं मुंह चाही होने लगी तभी एसआई अमित पांडे ने पकड़ कर थाने में बैठा लिया
मीडिया में जाने से बौखला गई जीआरपी पुलिस
जब इस मामले की जानकारी मीडिया कर्मियों को हुई तो पत्रकारों ने तथ्य जानने की कोशिश की तो जीआरपी पुलिस बौखला गई आनन फानन में मोबाइल चोरी का केस बनाकर हरि शर्मा को जेल भेज दिया और छोटे भाई को 151 की कारवाई कर दिया
क्या कहा जी.आर.पी. सी ओ ने
जब इस मामले से संबंधित जानकारी के लिए पत्रकार ने राम कृष्ण मिश्र से बात की तो उन्होंने कहा कि हरि शर्मा का अपराधिक इतिहास है पत्रकार ने यह सवाल किया कि उसने इस बार क्या अपराध किया है तो उन्होंने कहा कि आप हमसे बहस ना करें जब उनसे यह कहा गया कि थाना प्रभारी ने वीडियो में कहां है की उन लोगों ने मारपीट किया है तो उनको चोरी की धारा बनाकर क्यों जेल भेजा जा रहा है इस बात पर वह मौन हो गए और फोन काट दिया
जी आर पी पुलिस से सवाल
अगर पीडिता का आरोप सही है और पुलिस ने आरोपियों को 27/1/17 को पकड़ा था तो 29/1/17 3 दिन बाद क्यों जेल भेजा? आखिर इन 3 दिनों तक कौन सी पूछताछ चल रही थी जिसके लिए नियमो को ताख पर रख दिया गया.
जैसा कि पीडिता आर्पो है कि उसके पास वीडियो है जिसमे उसने दिखाया कि थाना प्रभारी सतीश कुमार गौतम ने यह कहा है कि यह लोग शराब पीकर मारपीट कर रहे थे तो उन पर चोरी का मुकदमा क्यों दर्ज किया गया ? क्या उसी समय 151 की कार्यवाही नहीं हो सकती थी. या फिर कौन सी चोरी पुलिस ने उगलवा ली.
दो सगे भाई आपस में मारपीट करते जीआरपी को दिखाई दे जाते है, मगर उनके कार्य क्षेत्र के अवैध वेंडर ट्रेनों में चाय, गुटखा, सिगरेट बेचते नहीं दिखाई देते है ? फिर उनकी धर पकड़ क्यों नहीं होती है.