धर्म के बिना लोकतंत्र अधूरा है – डॉ.सुशील कुमार पाण्डेय ‘साहित्येन्दु’

प्रमोद कुमार दुबे/कादीपुर (सुलतानपुर)
मानवता ही धर्म है । मानवीय मूल्यों का संरक्षण करना ही लोकतंत्र में धर्म का काम है ।’ यह बातें वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.आद्या प्रसाद सिंह ‘प्रदीप’ ने कहीं। ‘प्रदीप’ अघोरपीठ बाबा सत्यनाथ मठ पर आयोजित ‘लोकतंत्र में धर्म की भूमिका ‘ विषय पर आयोजित संगोष्ठी को बतौर मुख्यअतिथि  सम्बोधित कर रहे थे ।
विशिष्ट अतिथि डॉ.सुशील कुमार पाण्डेय ‘साहित्येन्दु’ ने धर्म के लक्षण बताते हुये कहा कि धर्म के बिना लोकतंत्र अधूरा है। युवा साहित्यकार ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह ‘रवि’ ने संगोष्ठी में कहा – ” लोकतंत्र स्वयं में एक धर्म है । भारतीय लोकतंत्र का धर्म ग्रंथ भारतीय संविधान है । संविधान में आस्था न रखने वाले लोग अधार्मिक हैं । प्रचलित अर्थों में जिसे धर्म कहा जाता है उस धर्म के नाम पर अथवा धार्मिक प्रतीकों के नाम पर वोट मांगना अधर्म है ।” संगोष्ठी की अध्यक्षता भाजपा नेता समाजसेवी हनुमान सिंह व संचालन आशुकवि मथुरा प्रसाद सिंह ‘जटायु’ ने किया । संगोष्ठी के आयोजक और मठ के पीठाधीश्वर कपाली बाबा ने आगंतुकों का स्वागत और आभार ज्ञापन किया । संगोष्ठी को कांग्रेस नेता प्रमोद मिश्र ‘मुन्ना’ , सुरेन्द्र प्रताप सिंह , बांके बिहारी पांडेय ,शिव भूषण सिंह व मनोज सिंह समेत अनेक प्रमुख लोगों ने सम्बोधित किया । संगोष्ठी में डा .सुशील कुमार पाण्डेय की पुस्तक ‘तुलसी तत्व चिंतन’ का विमोचन भी हुआ। संगोष्ठी में लोकतंत्र की मजबूती के लिये मतदान को अनिवार्य बताया गया । सभी लोगों ने 27 फरवरी को वोट देने की अपील भी की ।

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