भ्रष्टाचार का एक और नमूना।

इमरान सागर 
जलालाबाद,शाहजहाँपुर :- फर्जी मार्कशीट के आधार पर कोटा लेकर बैठे एक कोटेदार की शिकायत ग्रामीणों ने उप जिलाधिकारी से की. शिकायत सही निकली और जाँच में कोटेदार की मार्कशीट फर्जी निकली और उनका कोटा निरस्त कर दिया गया. यह समाचार सिर्फ यही तक ही सीमित होकर रह गया और कोटेदार महोदय सिर्फ कोटा निरस्त करवा कर अपने ऊपर लगे आरोपों के साबित होने की इतिश्री कर बैठे. जबकि नियमो को अगर देखा जाए तो जाँच अधिकारी द्वारा आरोप सही साबित होने के बाद उक्त कोटेदार के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही की श्रेणी में उक्त कोटेदार के विरुद्ध धोखाधड़ी का मुकदमा पंजीकृत करवाना चाहिए था मगर ऐसा हुवा आज भी नहीं.
घटना ग्राम सराय साधौ की है जहा के कोटदार फर्जी आठवीं की मार्कशीट बनवा कर काफी समय से कोटा का संचालन कर रहे थे। गॉव बालों ने एस० डी० एम० से शिकायत की थी कि सराय साधौ का कोटेदार ने फर्जी मार्कशीट लगाकर कोटा ले लिया है! एस०डी०एम० ने कोटदार के विरुद्ध जांच का आदेश दिया! जाँच में यह सत्य पाया गया कि उक्त कोटदार की मार्कशीट फर्जी है! इसके बाद कोटा निलंबित कर दिया गया और उसको चक चन्दर सेन के कोटे से अटैच कर दिया गया! लेकिन आरोप सही पाए जाने के बाद भी कोटेदार के विरुद्ध कोई कार्यवाही नही की गयी! जबकि फर्जी मार्कशीट के कारण कोटदार के विरुद्ध 420 धोखाधड़ी का मुकद्दमा दर्ज होना चाहिए था।

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