मोरम चोरो ने आचारसंहिता को दिखाया ठेंगा

गज़नफर अली – बाँदा
देश की शीर्ष अदालत से लेकर एन0जी0टी0 की आँखों में धूल झोंककर नदियों की संपत्ति लूट रहे नेताजी अब सिंडिकेट के सहारे अपने चुनावी चक्रव्यूह को चकाचक बनाने में जुटे है। विधानसभा चुनाव में नोट बांटकर वोट न लेने की चुनावी आचार संहिता भी गिरगिट की तरह रंग बदल रहे नेताओ की नीयत भांपने में फिसड्डी साबित हो रही है। नतीजतन चुनाव लड़ रहे कई नेतागण कभी सिंडिकेट के सहारे तो कभी गुंडा टैक्स का सहारा लेकर अपनी झोलियां भरकर चुनावी चक्रव्यूह मजबूत करने में लगे है। जानकारी के तौर पर जिले की सीमा से लगी केन और बागे नदियों में दिन रात हो रहे मोरम खनन और मोरम खुदाई में काम कर रही दर्जनों भारी भरकम मशीने इस बात का प्रमाण है कि यूपी के पडोसी राज्य mp के नाम पर मोरम खुदाई का काम कर रहे लोग किस तरह से मौके पर दो प्रदेशो का सीमा विवाद बताकर प्रतिदिन लाखो करोडो रूपये की बेशकीमती मोरम निकालकर अपनी तिजोरियां भर रहे है।इस काम में सीमा से सटे दोनों प्रदेशो के राजस्व कर्मी भी मौके का फायदा उठाकर मामले को विवादित बताकर अपना उल्लू सीधा कर रहे है।हकीकत यह भी है कि केन नदी के घाटों पर गिरवां थाना व् मटौंध के रास्ते दिनरात मोरम से ओवरलोड ट्रकों की लतारें जिस तरह से बनी बनाई सड़कों को नेशतनाबूत कर रही है,वह परिवहन विभाग और टैक्स विभाग के अधिकारी बिना चश्मे के भी आराम से देख रहे है। कुल मिलाकर देखा जाये तो जिस जिले की जनता को निजी प्रयोग  के लिए एक चोगा मोरम मिलना मयस्सर न हो वहां माफियाओं के ट्रक और नदी तल से लेकर पानी के भीतर दर्जनों की तादाद में धड़धड़ा रही विशालकाय मशीने जिले के आलाधिकारियों को सलामी ठोंक रही है।

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