रामपुर पुलिस – साहेब कब पूरी होगी विवेचना
रवि शंकर दुबे
रामपुर. कहा जाता है कि कानून सबके लिए एक बराबर होता है. मगर कभी कभी कानून व्यवस्था के रखवाले ही कुछ ऐसा करने लगते है जिसको जान कर इस शब्द से आम जन का विश्वास व्यवस्था से कम होने लगता है. इस घटना में भी ऐसा ही हुआ है, जिससे एक महिला का विश्वास व्यवस्था से कम होने लगा है. आइये आपको पीडिता रिया शर्मा के साथ घटित घटना के सम्बन्ध में उनके ज़बानी बताई गई बात के तहत बताते है.
रिया शर्मा नाम की इस महिला की शादी कैम्प, जेल रोड रामपुर क्षेत्र के रहने वाले देवेन्द्र शर्मा के साथ हुई थी. पति पत्नी एक नए उम्मीद की किरण से फुले नहीं समां रहे थे. महिला गर्भ से थी. रिया शर्मा के आरोपों को आधार माने तो दिनाक 12.सितम्बर 2016 को सुबह वह अपने घर के बाहर झाड़ू लगा रही थी. इसी बीच उसका उसके पड़ोसियों से किसी बात पर विवाद हो गया. इस विवाद में पड़ोसियों ने उसकी पिटाई कर दिया जिसमे पेट में भी चोट आई और उसका गर्भ जाया हो गया. पीडिता का पति और देवर उसको लेकर शहर के एक मशहूर चिकित्सक के चिकित्सालय पहुचे जहा जांचोपरांत पता चला कि उसका बच्चा पेट में ही जाया हो चूका है. इसी दौरान पीडिता का आरोप है कि आरोपियों ने खुद को फंसता देख षड़यंत्र के तहत रात को ही पीडिता के देवर को महिला छेड़खानी में नामज़द करते हुवे उसके खिलाफ FIR करवा दिया. इस दौरान जब दुसरे दिन सुबह पीडिता अपने पति और देवर के साथ थाने पर अपनी शिकायत लेकर पहुची तो पुलिस ने उसके देवर को ही गिरफ्तार कर लिया और महिला की शिकायत दर्ज न कर उसको कल आने को कह कर टाल दिया. इस दौरान पीडिता रोज़ ही थाने और सम्बंधित अधिकारियो से संपर्क कर अपनी फरियाद करती रही मगर उसकी कोई नहीं सुन रहा था. इसी फरियाद के दौरान पीडिता महिला थाने पहुच गई और अपनी फरियाद तत्कालीन थाना प्रभारी से बताई. तत्कालीन थाना प्रभारी ने महिला की शिकायत पर दिनाक 27 अक्टूबर 2016 को सम्बंधित गंभीर धाराओ में मुकदमा पंजीकृत कर लिया. इसी बीच तत्कालीन थाना प्रभारी का स्थानान्तरण हो गया और FIR संख्या 223/16 में विवेचना शुरू रही.
पीडिता ने हमको बताया कि आज तक आरोपियों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई और वो खुलेआम कहते है कि कुछ नहीं होगा. पीडिता ने बताया कि जब भी विवेचक चमकार सिंह से संपर्क करती है तो वह कहते है कि इसमें विवेचना विचाराधीन है. बस कोई चश्मदीद गवाह नहीं मिल रहा है. जबकि चश्मदीद गवाहों के नाम पीडिता ने अपने शिकायती प्रार्थना पत्र में ही लिख रखा है. वही पीडिता का आरोप है कि विवेचक द्वारा जिले के मशहूर चिकित्सक का भी बयान लिया गया जिसमे उन्होंने मिसकैरेज होने की पुष्टि की मगर फिर भी विवेचक अभी तक कोई कार्यवाही नहीं कर रहे है और आरोपियों के हौसले दिन प्रतिदिन बुलंद होते जा रहे है.
अब आरोपों में कितनी सच्चाई है यह एक अलग बात है मगर नियम जो बयान करते है वह इसके अलग ही है. इस विवेचना के नाम पर अपराध पंजीकृत होने के लगभग 80 दिन गुज़र जाने के बाद भी विवेचक द्वारा अभी तक विवेचना पूर्ण न करना भी संदेहास्पद है. नियमो के तहत विवेचक को अधिकतम 90 दिनों में विवेचना पूर्ण कर अपराध पर चार्जशीट या फिर अपनी रिपोर्ट न्यायालय को भेजनी होती है. अब सवाल यह है की जब विवेचक इन 80 दिनों में अपनी विवेचना नहीं पूर्ण कर पाए है तो अगले दस दिनों में कैसे पूर्ण कर लेंगे अब तो आचार संहिता और व्यस्तता का समय है.