मथुरा – वृन्दावन विधानसभा: पाँच सालों का विकास तय करेगा विधायक, वोट की चोट से जवाब देगी जनता
(मथुरा/रवि पाल)
मथुरा – वृन्दावन विधानसभा जो जनपद की सबसे महत्वपूर्व विधानसभा मानी जाती है, पर नज़र डाली जाये तो पिछले पाँच वर्षों में कोई भी अपेक्षित विकास यहाँ देखने को नहीं मिला है। आज भी जनता की समस्याएँ जस की तस हैं। वर्तमान विधायक प्रदीप माथुर से जनता संतुष्ट नहीं है। धौली प्याऊ,नटवर नगर,चन्द्रपूरी, मोतीकुंज, महोली रोड, बालाजीपुरम आदि तमाम कॉलोनियाँ आज भी अपनी बदहाली के लिए पिछले पाँच वर्षों में विधायक निधि से न हुए विकास के लिए आँसू बहा रही हैं।
आज भी नए बस स्टेंड के पुल के नीचे थोड़ी सी बरसात होने से ही इतना जल भराव हो जाता हैं कि लोगों को निकलना भी दुर्लभ हो जाता हैं। मथुरा का ह्रदय स्थल कहा जाने वाला होलीगेट भी इसी समस्या से आज तक जूझ रहा है। अब देखना होगा कि आगमी विधायक क्या क्षेत्रीय जनता का विकास करा पायेंगे, या बदहाली का ये सिलसिला यूँही जारी रहेगा।
दिलचस्प होगा मुकाबला
मथुरा – वृन्दावन विधानसभा में त्रिकोणीय संघर्ष को देखते हुए काँग्रेस से प्रत्याशी व वर्तमान विधायक प्रदीप माथुर, रालोद से डॉ० अशोक अग्रवाल और भाजपा से श्रीकांत शर्मा के बीच काँटे की टक्कर है। तीनों ही दिग्गज एवं प्रतिष्ठित उम्मीदवार हैं। भाजपा प्रत्याशी श्रीकांत शर्मा को बाहर का कहे जाने व गुटबाजी के चलते पार्टी के अन्दर जबरदस्त विरोधाभास है। और साथ ही चुनावों से पूर्व श्रीकांत शर्मा कभी भी मथुरा की जनता के बीच नहीं पहुँचे, यह भी उनके विरोध का एक कारण बन रहा है।
अब आइये बात करते हैं काँग्रेस से प्रत्याशी व वर्तमान विधायक प्रदीप माथुर की। बता दें कि वे भी पिछले पाँच सालों में जनता के बीच न रहकर दिल्ली, लखनऊ में ज्यादा रहे हैं, जिसकी वजह से शहर की जनता इनसे भी नाखुश सी दिख रही है। अब चर्चा करते हैं रालोद से डॉ० अशोक अग्रवाल की तो पेशे से वह बाल-रोग विशेषज्ञ हैं, पूर्व में दो बार इनका टिकट बसपा से कटा इसके बाद यह 2012 में बसपा से टिकट कटने के बाद तुरन्त ही समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़े। और 53 हज़ार वोट लाकर तीसरे नंबर पर रहे। इसके बाद सर्व समाज के लोगों के बीच रहकर, समय-समय पर उनके काम कराकर जनता में अपनी पहचान और पकड़ को मजबूत बनाया। अब उसी दम पर सपा से टिकट कटने पे रालोद से टिकट लेकर चुनाव मैदान में उतरे हैं। और इस समय मज़बूत स्थिति में नज़र आ रहे हैं।
किसके सिर पर सजेगा ताज
प्रदीप माथुर को मथुरा-वृन्दावन की क्षेत्रीय जनता ने विकास के विश्वास पर विधानसभा पहुँचाया था। लेकिन विधायक जी जनता की उम्मीदों पे खरे नहीं उतरे, इस बार फिर वे चुनाव मैदान में हैं। अब देखना होगा कि क्या विधायक जी एक बार फिर जनता का रुख अपनी ओर मोड़ पायेंगे। या क्षेत्रीय जनता साईकिल की सवारी छोड़ हैडपंप को चलाने वाले राष्ट्रीय लोकदल प्रत्याशी डॉ0 अशोक अग्रवाल जिनका की मथुरा-वृन्दावन की क्षेत्रीय जनता के विकास और समाजसेवा से शुरू से ही लगाव रहा है, को मौका देती है। या भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के नेता कहे जाने वाले श्रीकान्त शर्मा जो कि अपनी किस्मत इसी विधानसभा से अजमा रहे हैं, को विधानसभा ले जायेगी। इधर लगातार एक ही पार्टी और हाथी की सवारी करने वाले बहुजन समाज पार्टी से पं० योगेश द्विवेदी भी दूसरी बार अपनी प्रतिष्ठा दाँव पर लगाए बैठे हैं।