इमरान सागर
शाहजहाँपुर:- लम्बे समय से भैस के इस्तेमाल मे लाये जाने बाला इंजेक्शन बाजार मे छुपाकर धड़ल्ले से बेचा जा रहा है ! इस इंजेक्शन की बिक्री पर प्रतिबंध भारत सरकार द्वारा महज इस लिये लगाया गया है कि यह बहुत ही हानिकारक बैक्सीन है जिस पर बिक्री करने बाले व इस्तेमाल मे लाने बालो के लिये सजा का भी प्रावधान बनाया गया है। इंजेक्शन के दुरुपयोग को देखते हुए प्रतिबंध के चलते केमिस्टों ने इसे रखना बंद कर दिया लेकिन वहीं परचून की खुदरा दुकानों पर इसकी बिक्री खुलेआम शुरू हो गई है तो वही नामचीन दुकानो पर यह इंजेक्शन छुपाकर सिर्फ जान पहचान के लोगो को उपलब्ध कराये जाते है।
हैरानी की बात तो यह है कि इंजेक्शन वाइल प्लास्टिक में है और वाइल पर कोई रेपर नहीं है। ग्रामीण क्षेत्र में यह शीशी 30 रुपए में बेची जा रही है। वही दुसरी ओर यह बैक्सीन गर्भपात के काम मे झोला छाप डाक्टर बहुत जोरो से इस्तेमाल कर रहे है ! इतना ही नही इसको सब्जी जल्दी तैयार के लिये भी प्रयोग मे लाया जाता है ! प्रतिबंधित होने बाद भी इन्जेक्शन पर रोक न लग पाना कही न कही प्रशासन कि लापरबाही मानी जा रही है ! यह बैक्सीन नौजवान पीड़ी को उत्साहित करने के काम मे भी लाया जाता है ! और शहर मे कई जगाहो पर इसकी इंजेक्शन कि बिक्री छुप छुपाकर कि जा रही है ! सुत्रो द्रारा यह भी बताया गया है इसकी बिक्री करने बालो का नेटवर्क बहुत ही मजबूत बताया गया जिसके तार उधोग पतियो के अलावा जिश्म फरोश के कारोबारियों से भी जुडे हुये है ! और पशु स्वास्थ विभाग को यह पुर्णतय: जानकारी होने के बाद भी आज तक छापेमारी नही की गई!
सुत्रो के द्रारा एक वाइल 17 रुपए में बेची जाती है। उसे 4 रुपए प्रति वाइल मुनाफा होता है। ग्रामीण क्षेत्र में इस इंजेक्शन का जमकर दुरुप्योग हो रहा है। दुधारू पशुओं को ही नहीं. घिया, तोरी व अन्य सब्जियों के उत्पादन में भी इनका दुरुप्योग किया जा रहा है। जानकारी मिली है कि इस तरह के इंजेक्शन शहर की एक तथाकथित कॉलोनी से ही स्टाक मगाया जाता हैं।