कूड़े के ढेर में रोजी तलाश रहे नॉनिहाल, इनके लिए शिक्षा के कोई मायने नही
कूड़ा बिनते बच्चे
आलापुर अंबेडकरनगर। इन्हें न लिखना आता है न पढ़ना आता है और न ही कभी स्कूल का मुंह देखा है। इन्हें तो बस चिंता है अपना और अपने परिवारीजनों के पेट पालने की। जी हां यह दृश्य देखकर आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि कूड़े के ढेर में जीवका की तलाश में जुटे यह नौनिहाल सर्व शिक्षा अभियान पर पलीता लगा रहे हैं
यह दृश्य रामनगर बाजार का है जहां पर पश्चिम बंगाल प्रांत के रहने वाले रवीना और सूफियाना कूड़े के ढेर से जीविका की तलाश में जुटी है।एक तरफ सरकार जहां ६ से १४ वर्ष तक के बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया है लेकिन यह नौनिहाल अपना तथा अपनें परिवारीजन का पेट पालने की गरज से कूड़े के ढेर से रोजी रोटी की तलाश में जुटे हैं जिससे उनकी जरूरतें पूरी हो सके।