कही तथाकथित मीडिया सरंक्षण में तो नहीं कट गया आम का बाग,पुलिस मौन

इमरान सागर 
तिलहर,शाहजहाँपुर:- तथाकथित मीडिया के सरंक्षण में लकड़कट्टो ने आम का हरा भरा बाग काट दिया! क्षेत्रिय पुसिल की मिलीभगत से लकड़ी माफिया हरे भरे आम के वृक्षो पर आरा चला रहे हैं!

नगर ब्लाक के गांव चाँदपुर स्थित सैयद साहब का हराभरा आम का बाग स्थानीय पुलिस की मिल़लिभगत से तथाकथित मीडिया के सरंक्षण में लकड़ी माफिया सरेआम कटान कर रहे हैं! बनविभाग द्वारा जानकारी लिए जाने पर हमेशा ही जबाब मिलता है कि परमिट है वृक्षो का, लेकिन यह बाक समझ से परे है कि हरेभरे बौर आने वाले वृक्षो का परमिट किस आधार पर बना कप वृक्षो को लकड़कट्टो द्वारा आरा चलवाने को लिए छोड़ दिया जाता है! क्षेत्र में चल रहे हरे भरे आम के बागानो के कटान की सूचना होने के बाद भी पुलिस और बन विभाग द्वारा कोई एैक्शन न लिया जाना एंव तथाकथित मीडिया द्वारा समाचार तक प्रकाशित नही करना प्रश्न चिन्ह लगाता है!
सूत्र बताते हैं कि लकड़ी माफिया, भूमाफियाओं की मिलीभगत से पहले ते हरेभरे बागो का सौदा तैय करते है उसके बाद बन विभाग से परमिट बनवाने हेतु मोटा चढ़ावा चढ़ाते हैं फिर तीसरे स्टेप में स्थानीय पुलिस और तथाकथिक मीडिाया की जेब गरम कर वृक्षो पर आसानी से आरा चला देते हैं!
बन विभाग द्वारा खराब और फल न देने वाले वृक्षो का ही कटान के लिए परमिट जारी करने का नियम है लेकिन जिन वृक्षो से छाया और प्रर्यावरण और स्वच्छता बरकरार रहे उन्हे भी कटबाया जाना कहाँ तक उचित है! हांलाकि बन विभाग का अपना तर्क हो सकता है लेकिन जनमानस सहित बेजुबान जानबरो तक को होने वाले नुकसान से बचाना अब भारी पड़ रहा है!
प्रर्यावरण को नुकसान:-क्षेत्र के विभिन्न हिस्सो में स्थित आम के हरे भरे बागो को बन विभाग की शय पर तथाकथित मीडिया से मिलकर स्थानी पुलिस के सरंक्षण में कटवा दिया और उक्त खाली हो गई भूमियों पर रिहायशी प्लाटिंग कराने का कारोबार जारी है वही ग्रामीण क्षेत्रो में बागो से वृक्ष कटान के बाद जमीन की जुताई कर खेत बना दिये जा रहे है जबकि क्षेत्र में तेजी हरियाली लुप्त होने के कारण जहाँ एक ओर समय पर बारिश और हवा मिलने से फसलो को को नुकसान हो कर महंगाई बढ़ रही है तो वही हवाओं में आक्सीजन की जगह ज़हर लेता जा रहा है! विगत के वर्षो में उक्त तिकड़ी की मिली भगत से क्षेत्र के विभिन्न हिस्सो से हरे भरे बागानो को तहस नहस तो कर दिया गया लेकिन प्रर्यावरण बचाव के नाम पर एक भी वृक्ष कहीं लगाया गया अब तक नज़र नही आया है, हाँ सरकारी फायलों में तो अब तक कहीं बाग लग कर जबान भी हो चुके होगें यह अलग बात है!

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