सीएम के एजेंडे में है यांत्रिक बूचड़खानों पर प्रतिबंध, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने दे रखा उद्योग का दर्जा, देती है 50% अनुदान

अरशद आलम 

उत्तर प्रदेश में सभी यांत्रिक बूचड़खाने बंद करने के अपने वादे पर अमल में सत्तारूढ़ भाजपा को केंद्र में अपनी ही सरकार की नीतियों के विरोधाभास और कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है। भाजपा ने अपनी चुनाव घोषणापत्र में सत्ता में आने पर प्रदेश के सभी यांत्रिक बूचड़खानों को बंद करने का वादा किया था। इसे जमीन पर उतारने की कवायद के तहत प्रदेश की आदित्यनाथ योगी सरकार ने कल एक बयान में कहा, ‘‘प्रदेश में संचालित अवैध पशु वधशालाओं को बन्द कराना एवं यांत्रिक पशु वधशालाओं पर प्रतिबन्ध वर्तमान सरकार की प्राथमिकताओं में है।’’

हालांकि आल इण्डिया मीट एण्ड लाइवस्टाक एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन का कहना है कि अवैध बूचड़खाने बंद किये जाने का कदम तो ठीक है लेकिन जहां तक लाइसेंसी यांत्रिक बूचड़खानों को बंद करने के भाजपा के चुनाव घोषणापत्र के वादे पर अमल का सवाल है तो यह केन्द्र में इसी पार्टी की नीतियों के प्रति विरोधाभासी कदम होगा और एसोसिएशन जरूरत पड़ने पर इसे अदालत में चुनौती देगी।
एसोसिएशन के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार ने बूचड़खानों को बाकायदा एक उद्योग का दर्जा दे रखा है। उसका खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय यांत्रिक बूचड़खाने लगाने के लिये 50 प्रतिशत तक अनुदान देकर इसे प्रोत्साहित करता है, वहीं उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार देश के कुल मांस निर्यात में करीब 50 प्रतिशत का योगदान करने वाले इस सूबे में यांत्रिक बूचड़खानों पर पाबंदी लगाने की बात कर रही है।
उन्होंने कहा कि हालांकि प्रदेश सरकार ने यांत्रिक बूचड़खाने बंद किए जाने को लेकर अभी तक कोई औपचारिक आदेश जारी नहीं किया है लेकिन इसके बावजूद प्रदेश में विभिन्न जगहों पर पशु वधशालाएं बंद की जा रही हैं। हालांकि उनमें से ज्यादातर अवैध हैं और उन्हें बंद किया भी जाना चाहिए लेकिन जैसा कि भाजपा ने अपने चुनाव घोषणापत्र में सभी यांत्रिक कत्लखानों को बंद किए जाने का वादा किया था, अगर वह ऐसा करने के लिये कोई कदम उठाती है या फिर अध्यादेश लाती है तो एसोसिएशन अदालत जा सकती है। संगठित उद्योग को तंग नहीं किया जाना चाहिये। फिलहाल हम सरकार के कदमों पर बारीकी से निगाह रख रहे हैं।
एसोसिएशन के पदाधिकारी ने बताया कि पिछले तीन महीने के दौरान नोटबंदी की वजह से पहले ही काफी नुकसान हो चुका है। अगर यांत्रिक बूचड़खाने बंद किए गए तो इससे लाखों लोगों की रोजी-रोटी पर असर पड़ेगा। इससे उन किसानों पर भी प्रभाव पड़ेगा, जो अपने बेकार हो चुके जानवरों को बूचड़खानों में बेचते हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस वक्त देश से करीब 26685 करोड़ रुपये का मांस दूसरे देशों में भेजा जा रहा है। अगर उत्तर प्रदेश में सभी यांत्रिक बूचड़खानों को बंद किया गया तो यह निर्यात घटकर लगभग आधा हो जाएगा।
मांस कारोबारियों का आरोप है कि भारी-भरकम रिश्वत मांगे जाने की वजह से लाइसेंस हासिल करने और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना बेहद मुश्किल हो गया है। प्रदेश की योगी सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि प्रदेश के सभी जिलों में स्थित पशु वधशालाओं का निरीक्षण किया जाए तथा अवैध रूप से संचालित पशुवधशालाओं को तत्काल प्रभाव से बन्द कराने के साथ-साथ दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध सुसंगत प्रावधानों के अनुसार दण्डात्मक कार्यवाही भी सुनिश्चित की जाए। इस सम्बन्ध में नगर विकास विभाग द्वारा शासनादेश जारी कर दिया गया है। शासनादेश में मुख्य सचिव ने पशुवधशालाओं में अवैध रूप से हो रहे पशु वध को रोके जाने के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय एक समिति का गठन करने के निर्देश हैं।

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