आखिर बिना मुआवजा दिये क्यो किसानों की जमीनों पर किया जा रहा कब्जा

मुआवजा बढ़ाने की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे है किसान
अनंत कुशवाहा 
बसखारी, अम्बेडकरनगर। सड़क निर्माण में विकास का उद्देश्य कम किसानों की जमीन पर कब्जा करने की तैयारी ज्यादा प्रतीत हो रही है। राष्ट्रीय राजमार्ग 233 लुंबनी वाया अम्बेडकरनगर से वाराणसी को जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में निर्माण कार्य में लगी कार्यदाई संस्था के कर्मचारियों व अधिकारियों के द्वारा रात दिन किए जा रहे निर्माण कार्य से किसानों के मन में ये डर बना हुआ है कि कही प्रशासन व कार्यदाई संस्था के लोग विकास की आडं में ऐन केन प्रकारेण किसी तरह किसानों की जमीन पर बगैर मुआवजा बढ़ाएं ,कब्जा कर अपने कर्तव्य की इतिश्री ना कर ले। जिस तरह से चुनाव आचार संहिता व धारा 144 की आड़ में प्रशासन ने किसानों के आंदोलन को दबाने का प्रयास किया है। उससे ऐसा ही प्रतीत हो रहा है कि प्रशासन इस भूमि अधिग्रहण में अपनी कमियों को छुपाने के लिए जल्द से जल्द किसानों की जमीन पर कब्जा करवा कर अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त होना चाह रहा है।
किसानों का आरोप है कि प्रशासन हमारी जमीनों को 2012 में ही अधिगृहित करने का दावा करता है लेकिन उस पर वह कब्जा 2016 में ले रहा है। जबकि नियमता अधिग्रहण के दो साल के अंदर किसानों की जमीनों का मुआवजा दे कर उस पर कब्जा लेना जरूरी है। अब जबकि चार साल हो चुके हैं नियमता सरकार की अधिग्रहण प्रक्रिया ही रद्द हो जानी चाहिए थी लेकिन प्रशासन अपनी नाकामी व कमियों को छुपाने के लिए किसी तरह किसानों की जमीनों पर कार्यदायी संस्था के लोगों के द्वारा जोर जबरदस्ती कब्जा करवा कर किसानो के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है।और अपनी जमीन के बदले मुआवजा व मुआवजा बढ़ाया जाने की मांग कर रहे किसानों के ऊपर झूठे मुकदमे दर्ज कर अभिव्यक्ति की आजादी का हनन भी कर रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग 233 से प्रभावित किसानों ने प्रशासन को नियमानुसार नए सिरे से अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरु कर वर्तमान सर्किल रेट से किसानों की जमीनों का भुगतान करना चाहिए, किसानों की जमीनों का भुगतान हेक्टेयर के वजाय प्रति वर्ग मीटर की दर से किया जाना चाहिए, किसानों की आबादी से सटे जमीनों का भुगतान आवासी दर से आदि कई मांगो को लेकर आंदोलन चला रखा हैं। अपनी मांगे काफी लंबे समय से लंबित होने के कारण प्रभावित किसान मुआवजा बढ़ाए जाने के लिए उग्र आंदोलन के लिए भी बाध्य हो रहे हैं।किसानों ने मुआवजा बढ़ाए जाने तक धरना देते हुए काम रोको अभियान चला रखा है जिसको लेकर निर्माण कार्य करने वाली संस्था, प्रशासन व आंदोलित किसानों के बीच तकरार बढ़ती जा रही है।आंदोलन कर रहे किसानों का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष रणंजीत कुमार वर्मा ने प्रशासन के इशारे पर किसानों के ऊपर फर्जी मुकदमा दर्ज करने का आरोप लगाते हुए बताया कि कार्यदायी संस्था के लोगों के द्वारा धरने में शामिल महिलाओं के साथ छेड़छाड़ किसानों के ऊपर हुए जानलेवा हमले आदि कई मामलों में बसखारी पुलिस ने तहरीर देने के बावजूद भी मुकदमा नहीं पंजीकृत किया और वही प्लांट कर्मियों व सरकारी अस्पताल के लोगों को बुलाकर उनसे फर्जी तहरीर लेकर किसानों के ऊपर झूठा मुकदमा पंजीकृत कर आंदोलन को समाप्त करने का कुचक्र रचा जा रहा है। जिसके बिरोध यूनियन के लोग काफी संख्या मे प्रभावित किसानों को लेकर बुधवार को धरनास्थल से जिला पुलिस मुख्यालय तक पैदल मार्च कर विरोध प्रदर्शन करेंगे जिसमें यूनियन के कई प्रदेश नेताओं के शिरकत करने की संभावना है। पद यात्रा को सफल बनाने के लिए किसानों ने प्रचार अभियान भी तेज कर दिया है। यदि बुधवार को किसानों का हुजूम पद यात्रा में उमड़ पड़ा तो प्रशासन को इन को रोकना भी मुश्किल हो जाएगा।

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