सालभर बीता, नहीं खुल सका राजेश व उनके परिजनों की मौत का राज
मनीष मिश्र
अम्बेडकरनगर। जिला मुख्यालय के जुडवा कस्बे शहजादपुर में स्थित पंडाटोला में हुई तिहरी मौत को एक साल बीत चुके है लेकिन पुलिस की निष्क्रियता का आलम यह है कि अभी तक इस घटना से जुड़ी फोरेसिंक विभाग की जांच रिपोर्ट तक नहीं आ सकी है। दिल दहला देने वाली इस घटना का राज अभी तक सामने न आ पाना पुलिस की घोर नाकामी को ही परिलक्षित करता है। घटना के बाद कुछ समय तक चर्चा में रहा यह प्रकरण अब जबकि ठंडा हो चुका है इसके बावजूद घटना का खुलासा न हो पाना अपने आप में एक बड़ा सवाल बना हुआ है। पति-पत्नी व युवा पुत्र की घर के अंदर हुई मौत ने पूरे जिले को झकझोर कर रख दिया था लेकिन पुलिस इस घटना के प्रति शुरू से ही संवेदनहीन बनी हुई थी जिसका परिणाम आज भी सामने है।
उल्लेखनीय है कि पंडाटोला में रहने वाले राजेश उनकी पत्नी मंजू व युवा पुत्र शुभम् की 24 फरवरी 2016 की रात संदिग्ध परिस्थितियों में जलकर मौत हो गयी थी। घटना का पता 25 फरवरी की सुबह होने पर जब पुलिस वहां पहुंची तो एक कमरे में तीनों के शव का थोड़ा ही जला हुआ हिस्सा मिल सका था। घटनास्थल की परिस्थितियां इस घटना के पीछे गंभीर साजिश की तरफ इशारा कर रही थीं जबकि पुलिस बिना तथ्यों की गहरायी में गये ही इसे शार्टसर्किट से हुई मौत बताने पर तुली हुई थी। घटना के प्रति शुरू से ही लापरवाह रही पुलिस ने घटना से जुडे़ तथ्यों को सहेजने के लिए कमरे में लोगों की आवा-जाही को भी रोकने की आवश्यकता नहीं समझी थी। महज दो-तीन फिट की परिधि में तीनों शवों का मिलना भी घटना के रहस्य को ही प्रतिविम्बित कर रहा था लेकिन पुलिस अपने ही धुन में मस्त रही थी। कुछ दिन बाद राजेश तिवारी के भतीजे की तहरीर पर पुलिस ने अज्ञात के विरूद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया था लेकिन इस मुकदमे का क्या हुआ यह भी आज तक सामने नहीं आ सका है। घटना के 35 दिन बाद आयी फोरेसिंक टीम ने घटनास्थल से सुबूत इकट्ठे किये लेकिन यह क्या 10 माह से अधिक बीत जाने के बाद भी फोरेसिंक विभाग अभी तक अपनी रिपोर्ट नहीं दे सका है। ऐसे में इसे पुलिस की नाकामी कहा जाये या कुछ और लेकिन इतना तो निश्चित है कि पुलिस की लापरवाही से एक बड़ी घटना का राज दफन हो गया है।