कार्रवाई के बाद चिकन और मटन व्यापारी विरोध में, पूरे राज्य में हड़ताल की धमकी

करिश्मा अग्रवाल 

लजीज अवधी व्यंजनों के लिए मशहूर नवाबों के शहर लखनऊ में लोगों को शनिवार को शाकाहारी होना पड़ा। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अवैध बूचड़खानों और मीट की दुकानों पर कड़ी कार्रवाई की है। इसके विरोध में शहर के व्यापारी हड़ताल पर चले गए और शहर में मटन और चिकन की तकरीबन 5,000 दुकानें बंद कर दी गईं। लखनऊ के कई मशहूर नॉनवेज रेस्तरां के मालिकों ने एकजुटता दिखाते हुए अपनी दुकानें बंद रखीं।

मीट मुर्गा व्यापार कल्याण समिति ने रविवार से पूरे राज्य में हड़ताल का ऐलान किया है। कानपुर के मुर्गा व्यापार मंडल ने पहले ही हड़ताल में शामिल होने का ऐलान कर दिया है। नोएडा और गाजियाबाद में भी सड़कों के किनारे लगी चिकन और मटन की दुकानें रातोंरात गायब हो गई हैं। हालांकि लाइसेंस वाले कई दुकानदार इस हड़ताल में शामिल नहीं हैं लेकिन बाजार में मीट के बिजनस को लेकर चिंता का माहौल है। आगरा में मटन की सप्लाई बहुत कम रही लेकिन चिकन उपलब्ध था।
लखनऊ मुर्गा मंडी समिति और मीट मुर्गा व्यापार कल्याण समिति ने शनिवार सुबह एक मीटिंग की और सप्लाई बंद करने का फैसला लिया। मीट मुर्गा व्यापार कल्याण समिति के अंतर्गत 50 से ज्यादा होलसेलर हैं जो 5,000 से ज्यादा रिटेलरों को चिकन सप्लाई करते हैं। इसके अलावा वे होटलों और छोटी दुकानों में भी मीट की सप्लाई करते है। वहीं मीट मुर्गा व्यापार कल्याण समिति के अंदर तकरीबन 600 डीलर हैं।
संगठन के प्रतिनिधि संजय सक्सेना का कहना है कि कई डीलरों ने लाइसेंस के लिए आवेदन किया था लेकिन उनकी अर्जियां साल 2012 से लखनऊ म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के ऑफिस में पड़ी धूल फांक रही हैं। उन्होंने कहा,’हम बिना लाइसेंस के काम करने को मजबूर हैं क्योंकि न तो हमें नए लाइसें दिए जा रहे हैं और न हमारे पुराने लाइसेंसों को रिन्यू किया जा रहा है। हमारे वैध धंधे को अवैध ठहरा दिया गया है और इसके लिए अधिकारियों का सुस्त रवैया जिम्मेदार है। इस हड़ताल से हमारा बिजनस प्रभावित हो रहा है।’
लखनऊ म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के अधिकारी एके राव ने सक्सेना के आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा,’602 में 340 लाइसेंसों को रिन्यू कर दिया गया है और 130 को कैंसल कर दिया गया है क्योंकि वे सुप्रीमकोर्ट की गाइडलाइन्स का उल्लंघन कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देशों के मुताबिक किसी शैक्षणिक या धार्मिक संस्थान के पास कसाई की दुकान नहीं लगाई जा सकती। बाकी अर्जियां उन दुकानों के लिए थीं जहां भैंस का मांस बिकता है। हम उन्हें लाइसेंस नहीं दे सकते क्योंकि शहर में कोई वैध बूचड़खाना नहीं है।’
संगठन चीफ कुरैशी का कहना है कि सरकार को मीट व्यापारियों के लिए शहर के भीतर ही एक कानूनी मान्यता प्राप्त बाजार मुहैया कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे जमीन खरीदने या किराए पर लेने के लिए तैयार हैं ताकि उनका बिजनस प्रभावित न हो। इसके अलावा असोसिएशन एक मॉडर्न ‘मुर्गा मंडी’ और सेंट्रलाइज्ड मार्केट की मांग कर रहा है। दोनों संगठनो के सदस्यों की दलील है कि शहर में ज्यादातर ढाबा, फास्ट फूड, पान और फल-सब्जी की दुकानें बिना लाइसेंस के चलती हैं लेकिन उन पर कभी कोई कार्रवाई नहीं की गई।

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