युवा और किशोर में तेजी से बढता नशे का प्रचलन

अधेड़ एवं बुजुर्ग व्यक्तियों की अपेक्षा युवा और किशोरो की संख्या में हो रहा है बड़ा इजाफा!

इमरान सागर 

शाहजहाँपुर:- कहते हैं कि जिस प्रकार से युग, आधुनिक युग में प्रवेश कर रहा है, इसी के  सकारात्मक परिवर्तन के साथ नकारात्मक परिवर्तन में भी समाज बदलता प्रतीत हो रहा है!देखा जाए तो परिवर्तन,प्रकृति का नियम होता है! जमीन से लेकर आसमां तक प्रकृति परिवर्तन को नई दिशा देते हुए समाज को आधुनीकरण की तरफ तेजी के साथ मोड़ रही है! कहते हैं हर चीज के दो पहलू होते हैं पहला सकारात्मक दूसरा नकारात्मक अब निर्भर करता है कि सकारात्मकता का प्रतिशत परिवर्तन में कितना रहता है और कितना प्रतिशत नकारात्मकता का परिवर्तन में कितना रहता है! इसी के साथ हम कह सकते हैं कि जिस प्रकार से आधुनिक युग में विज्ञान अपनी कलाओं को तेजी के साथ विकसित करते हुए समाज एवं देश को एक नई दिशा देने का जो कार्य कर रहा है वह अपने आप में बेहद सराहनीय एवं आकर्षक है!

आज के इस आधुनिक युग में मनुष्य का दैनिक जीवन का लगभग 65 प्रतिशत भाग विज्ञान के ऊपर निर्भर है चाहे वह मनोरंजन की दृष्टि से हो या फिर चाहे वह उसके दैनिक कार्य योजनाओं की दृष्टि से एवं इसी प्रकार इस आधुनिक युग में देश में देश की राजनीतिक एवं सामाजिक कार्यों में युवा वर्ग तेजी के साथ सकारात्मक परिवर्तन हेतु बढ़-चढ़कर भाग लेते हुए देश को एक नई दिशा देने का कार्य कर रहा है जो कि वास्तव में परिवर्तन का एक सटीक उदाहरण है लेकिन अब यहां पर नकारात्मक पहलू की बात की जाए तो कहीं-कहीं युवा वर्ग अज्ञानता एवं भविष्य को अनदेखा करता हुआ अपने जीवन को नशे जैसी गंभीर लत का शिकार बनाते हुए जानबूझकर उसे बर्बाद करने पर भी तुला हुआ है दिखाई पड़ रहा है जो कि वास्तव में बेहद चिंतनीय एवं शर्मनाक है!

बात जनपद नगर की विभिन्न तहसीलो एंव नागर पंचायतो की जाये तो यहाँ पर कुल प्रतिशत का लगभग 35 से 40 प्रतिशत युवा पान पुड़िया बीड़ी तम्बाखू सिगरेट शराब बीयर जैसी लतों का बेहद शौकीन है!
बताते चले कि इस प्रतिशत का युवा वर्ग किसी ना किसी प्रकार के बनावटी बहानों को लेकर नशीले पदार्थों के सेवन हेतु तत्पर रहता है। ज्यादातर युवा शादी विवाह मुंडन सगाई समारोह एवं अन्य किसी भी प्रकार का कोई समारोह जिसमें आनंद एवं प्रसन्नता की अनुभूति होती हो उसमें भी आनंद एवं प्रसन्नता को नशीले पदार्थ के रूप में नई दिशा देकर अपने स्वास्थ्य भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हुए अपनी आगे आने वाली पीढ़ी को भी स्वयं की तरह बनने हेतु सीधे तौर पर बढ़ावा ना देकर घुमा फिराकर के तो दे ही देते हैं! और तो और धार्मिक पर्व एवं अनुष्ठानों पर भी नशीले पदार्थों में अपने आपको मदमस्त करते हुए धर्म समाज एवं संस्कृति का मजाक बनाने में बिल्कुल नहीं हिचकिचाते! चाहे फिर वह होली का त्योहार हो रामनवमी का त्यौहार हो या अन्य किसी भी प्रकार का कोई धार्मिक अनुष्ठान हो उनके लिए सिर्फ एक प्रकार का मनोरंजन का बहाना होता है, जिसका वह पूर्ण रुप से नशे में मदमस्त होकर आनंद उठाते हैं! हालांकि युवाओं के साथ उनकी देखादेखी करते हुए किशोर अवस्था में पहुंचने वाले बालक भी पान पुड़िया सिगरेट बियर शराब का सेवन जोर शोर के साथ कर रहे हैं जो कि समाज देश एवं देश की संस्कृति के लिए बेहद खतरनाक एवं चिंतनीय है! ऐसे में यदि उन माता-पिता के बारे में सोचा जाए जिन्होंने बड़ी उम्मीद एवं शिद्दत के साथ अपने बच्चे का पालन-पोषण इस उद्देश्य से किया हो कि भविष्य में उनका पुत्र समाज एवं देश में उनका नाम रोशन करेगा एवं इसी के साथ साथ संस्कृति की रक्षा करते हुए अपने परिवार की मर्यादा को सकारात्मक रुप से सुरक्षित रखते हुए भविष्य में उन्नति करेगा तो ऐसे में उनकी क्या मनोदशा होगी इसका पता लगाना बेहद दुखद ही नही बल्कि कठिन भी! ऐसे में समाज के सम्मानित जनों एवं युवाओं को चाहिए कि वह इस प्रकार से अपने मार्ग एवं कर्तव्यों से भटकने वाले युवाओं को सही राह दिखाते हुए सामाजिक कार्यों के उत्थान हेतु उन्हें नई प्रगति शाली दिशा दिखाने का कार्य करें जिससे कि समाज एवं देश को सकारात्मक रूप से विकास की एक नई गति प्राप्ति हो, तभी आधुनिक युग का परिवर्तन सकारात्मक रूप से सुंदर एवं सुदृढ़ माना जाएगा! माना जा रहा है कि कहीं न कही किसी भी बहाने के साथ नशीले पद्धार्थो की ओर युवा एंव किशोर के बढ़ते कदमो की चाल में तेजी लाने के काम में समाज भी भुमिका अदा करता नज़र आता है!

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