अवध विश्वविद्यालय की पारदर्शी परिक्षा का सच :

अवध विश्वविद्यालय की पारदर्शी परीक्षा का सच : केन्द्राध्यक्ष निर्धारण में कुलपति और बाबुओं ने धन उगाही के लिए किया खेल
प्रमोद दुबे 
मुख्य परीक्षा 2017 के लिए विभिन्न परीक्षा केन्द्रो के केन्द्राध्यक्ष निर्धारण में विश्वविद्यालय के बाबुओं द्वारा खेल किया गया है। महाविद्यालय/परीक्षा केन्द्र के सम्मुख अधिकांश के लिए यह दर्शाया गया हैकि सम्बन्धित में स्थायी या अनुमोदित प्राचार्य कार्यरत है,किन्तु वास्तविकता कुछ और ही है।

विगत कई बर्षो से कुलपति अवध विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित सूची दिनांक 22.03.2017 के परीक्षा केन्द्र क्रमांक 333 :  श्री कन्हैया लाल माणिक चन्द्र महिला महाविद्यालय सुरापुर सुल्तानपुर में अनुमोदित प्राचार्य के रुप में कार्यरत डां.प्रसिद्ध नारायण मिश्रा, पूर्व रीडर बी.एन.के.बी.महाविद्यालय अकबरपुर अम्बेडकरनगर को परीक्षा केन्द्र क्रमांक 256 : डां.राम मनोहर लोहिया महाविद्यालय राम अभिलाख पुरम सेमरी अम्बेडकरनगर का बनाया गया है। अब डां.मिश्रा सूरापुर सुल्तानपुर के अनुमोदित प्राचार्य/केन्द्राध्यक्ष है या सेमरी अम्बेडकरनगर के केन्द्राध्यक्ष ?
जबकि भूगोल विभाग सन्त तुलसी दास महाविद्यालय कादीपुर सुल्तानपुर की प्राध्यापिका डां.अमृता सिंह रघुबंशी को दो दो परीक्षा केन्द्रो का केन्द्राध्यक्ष बना दिया गया है। डा.अमृता सिंह को एक तरफ परीक्षा केन्द्र क्रमांक 283: रानी लक्ष्मीबाई बालिका महाविद्यालय कूरेभार सुल्तानपुर का केन्द्राध्यक्ष बनाया गया है, तो दूसरी तरफ डां.अमृता सिंह को ही परीक्षा केन्द्र क्रमांक 346: राम मिलन मिश्रा महिला महाविद्यालय मोतिगरपुर सुल्तानपुर का भी केन्द्राध्यक्ष बनाया गया है। 
विश्वविद्यालय परीक्षाओं के साथ इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता हैकि आज जिन 288 महाविद्यालयों में प्रकाशित सूची के अनुसार स्थायी या अनुमोदित प्राचार्य दर्शाया गया है, यह संख्या यथावत रहेगी कि 288 कालेजों में प्राचार्य हैं ? या अब इन्हीं महाविद्यालय के प्रबन्धको से विश्वविद्यालय बाबुओं द्वारा अबैध धन उगाही द्वारा पुन: केन्द्राध्यक्ष बनाने का खेल खेला जायेगा।
आज विश्वविद्यालय स्तर पर अवध विश्वविद्यालय सहित 422 परीक्षा केन्द निर्धारित किये गये है,जिनमें से 289 में स्थायी/अनुमोदित प्राचार्य दर्शाये गये है, और 133 महाविद्यालय में दूसरे महाविद्यालयों के शिक्षिको को केन्द्राध्यक्ष बनाया गया। क्या फिर यह 133 की संख्या नहीं बढेगी ?                        

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