शरीयत की हिमायत में उमड़ी रिकॉर्ड तोड़ महिलाये, जयपुर के ईदगाह पहुची 20 हज़ार महिलाये

शरियत और ट्रिपल तलाक के समर्थन में मिले 3.50 करोड़ फार्म
ईदगाह में हुआ मुस्लिम महिलाओं का इजलास ए आम
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को दिया समर्थन
जयपुर

आल इंडिया  मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की महिला विंग की ओर से महिलाओ का इजलास ए आम आज राजधानी जयपुर के ईदगाह में हुआ, आमतौर पर ईद की नमाज़ के वक्त जो ईदगाह पुरुषों से भरी नज़र आती है, आज उसमे महिलाओं का हुजूम नज़र आया। राजधानी में आयोजित इस इजलास में प्रदेशभर से 20 हज़ार के करीब महिलाओ ने हिस्सा लिया। इजलास में मुस्लिम महिलाओं के अधिकार व चुनौतियां’ पर सेमिनार का आयोजन हुआ, जिसमे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की वूमेन विंग की ओर से हैदराबाद से डॉ. असमा ज़ोहरा, जयपुर से यास्मीन फारूखी, लखनऊ से निकहत खान, देल्ही से ममदूहा माजिद,  जैसी इस्लामी शरियत और भारतीय संविधान की जानकारों ने महिलाओ को उनके अधिकारों, समस्याओं और चुनोतियों से निपटने की जानकारी दी।

इजलास में वूमेन विंग की डॉ. अस्मा ज़ोहरा ने महिलाओ के सामने  देशभर में तलाक के आंकड़े रखे और बताया कि आज देश मे सबसे कम तलाक के मामले मुस्लिम समाज मे हैं, जबकि माहौल ऐसा बनाया जा रहा हैजैसे सबसे ज़्यादा तलाक ही मुसलमानो में हो रहे हों।  उन्होंने कहा कि  ये एक साजिश है ताकि मुसलमानो को बदनाम किया जा सके और महिलाओं के अधिकारों के नाम पर मुसलमानो के सामाजिक ताने-बाने को तोड़ा जा सके,  मुस्लिम महिलाओं को ऐसे वक्त में अपने अधिकारों को समझना बेहद जरूरी है, ताकि वो खुद तो समझे ही, साथ ही सभी इल्ज़ाम लगाने वालों को भी बता सकें कि इस्लाम और शरीयत में महिलाओं को सबसे ज़्यादा अधिकार हैं।  शरीयत ही बेटियों को जायदाद में  एक चौथाई हिस्से के लिए कहती है। शरीयत ही महिलाओं को अपने आत्म सम्मान की रक्षा के लिए पति से अलग होने का अधिकार देती है, अन्यथा आजकल  पत्नियों से छुटकारे के लिए बेटियों का जला कर मार डालना आम बात है, ऐसे में ऐसे नकारात्मक लोगो से सजा पाने से बेहतर है कि उनसे अलग हो जाये, जबकि जो लोग सकारात्मक है उनके सामने कभी तलाक की नौबत आती ही नही है। बोर्ड की मेंबर जयपुर से यास्मीन फारूखी ने बताया कि ट्रिपल तलाक के हक में वूमेन विंग को साढ़े तीन करोड़ फॉर्म मिले हैं। ट्रिपल तलाक के मामले में  महिलाओ की आड़ इसलिए लेने की कोशिश की जा रही है क्योंकि कुछ लोगों को लगता है कि मुस्लिम महिलाओं में शिक्षा की कमी है, इसलिए उन्हें आसानी से बेवकूफ बना दिया जायेगा।  जबकि ऐसा है नही, मुस्लिम महिलाएं खुलकर शरीयत के समर्थन में आगे आयी है, यही वजह है कि शरीयत पर सवाल खड़ा करने वाली अनभिज्ञ महिलाओं की तादाद पांच-दस से ज़्यादा नही होती और जयपुर में शरीयत की हिमायत के लिए 20 हज़ार से ज़्यादा महिलाये पहुची हैं। उन्होंने कहा कि अब जायादाद में बेटियों को हिस्सा दिलाना भी महिलाओं का अहम मुद्दा है, दहेज, प्रताड़ना, शादी में खर्चे की डिमांड रोकना अहम मुद्दा है। 
 इसके अलावा इजलास में ट्रिपल तलाक, इस्लाम में महिलाओं के अधिकारों , ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की भूमिका  पर भी बात हुई। इजलास में इस्लाम,  पवित्र कुरआन और हदीसो की रोशनी में जानकारी दी गयी। साथ ही  इस्लाम में निकाह और तलाक  के तरीकों पर बात हुई, जिसमे तलाक के मामले ट्रिपल तलाक के उपयोग को कम से कम करने पर ज़ोर दिया। साथ ही कुरान व संविधान में महिलाओं के हक पर भी बात की गई। इस दौरान निकाह, तलाक व नये मॉडल निकाहनामे पर महिलाओं को जागरूक किया गया। जिसमें मेहर की रकम को ज़्यादा से ज़्यादा बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया।  आम इजलास के बाद में दोपहर 2 बजे होटल इंडियाना प्राइड में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्यों व वीमेन विंग का सेशन हुआ। इसमें मुस्लिम महिला, बुद्धीजीवियों, डाक्टर्स, वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और छात्रों आदि के साथ स्पेशल सैशन आयोजित किया गया।  इस सेशन में मुस्लिम महिलाओं ने सभी धर्म की महिलाओं को  आमंत्रित किया और इस्लाम व शरियत पर गलतफहमियों को दूर करने पर चर्चा की।

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