साहेब – चंद अड्डो पर छापामारी से नहीं ढकेंगे नाबालिगा के जख्म
के.पी. सोनी-
जयपुर। प्रदेश के हनुमानगढ जिला मुख्यालय पर विगत 31मार्च को एक नाबालिगा की खरीद-फरोख्त कर उसे जिस्म के बाजार में धकेलने की मुख्य आरोपी मंजू अग्रवाल सहित 11लोगों की गिरफ्तारी के बाद हनुमानगढ पुलिस अपनी पीठ भले ही थपथपा रही है लेकिन इस सारी कवायद से यह सब बंद करवाने का सपना कोई नागरिक देख रहा है तो उसे नींद से जाग जाना चाहिए ।हनुमानगढ की पुलिस के पास एैसे-एैस गुर और अनूभव है कि वो चाहे तो सब चंद सैंकिडों में रुक जाये और वो न चाहे तो ..शायद लिखने की जरूरत नहीं कि वो क्यों न चाहे??
मंजू अग्रवाल मामले में भी एैसा ही है, मंजू का घर सुरेशिया पुलिस चौकी से बा-मुश्किल सौ मीटर दूर है लेकिन एक मासूम पर महिनों अत्याचार होता रहा,उसकी चीखें सौ मीटर के दायरे को पार कर चौकी तक न पहुंच सकी,और अगर पहुंची भी तो न जाने क्यो दीवारों से टकराकर वापस लौट आई। मंजू अग्रवाल प्रकरण का खुलासा होने बाद भी पुलिस का यह प्रयास था कि यह सब उनके गले न पड़कर दिल्ली पुलिस के लिये सिरदर्द बने,सो पुलिस शुरू में मामला दर्ज करने से बचती रही।
-सामने थी आरोपी पर न पकडा़-
मंजू अग्रवाल की बहू को कल एेलनाबाद से पकडा़ गया बताया जा रहा है,इसके लिये कितनी भागी दौडी़ करनी पडी़ पुलिस को वो ही जाने,लेकिन ये कवायद नहीं करनी पड़ती अगर घटना के दिन मंजू के घर गई पुलिस बिना किसी न्यायालय उसे उस दिन क्लीन चिट न देती कि- इसकी संलिप्तता बाद में देखेंगे है या नहीं!!!
क्या राजनैतिक दबाव रहा?
इस सारे प्रकरण में राजनैतिक दबाव की चर्चा भी चली लेकिन पुलिस अधीक्षक इससे कल पीसी में इनकार कर गये,अब दबाव था नहीं तो आखिर इतना समय आरोपी जिले में ही कैसे रहे और जहां रहे वहां इनको शरण देने वाले क्या दोषी नहीं है? बे-शक है लेकिन उन्हे पकडे़ कौन? वोट की गठडियां है वो ,सो मामला स्टॉप!!!!
-होटल किससे छूपे हैं-
बालिग हो या नाबालिग जिस्म फरोशी के अड्डे बने शहर के होटल पुलिस तो दूर रिक्शा रेहडी चलाने वालों से भी नहीं छिपे हैं लेकिन रेहडी रिक्शा वालों की पहुंच नहीं उन्हे पकडने की और जो सक्षम है उन्हे फुरसत नहीं,यां फिर यूं कह दें कि वे अनदेखा कर रहें,पुलिस इन छद्म कार्यों को क्यों अनदेखा करती है लिखने से ज्याद समझने की जरूरत है,भला हो पूर्व सीओ सिटी अतर सिंह पूनिया का जिन्होने अड्डे पर एक होटल पर जिस्म फरोशी करते कई लोगों को पकडा था,लेकिन उसके बाद सब -शांति है,जो संभव तो नहीं,परंतु !!
-टिब्बी रोड ने बांटा एड्स-
टाऊन का टिब्बी रोड एड्स बांट रहा है।पक्का सहारना व कुछ और गावों में एड्स के कुछ मरीज यह स्वीकार करतें हैं कि उन्हे यह सब टिब्बी रोड से मिला,अब पुलिस लोगों को एड्स बांटने वालों पर क्या कार्यवाही करेगी ?देखना है।