परिषदीय स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति शिक्षकों के लिए बनी चुनौती
सुदेश कुमार
बहराइच : परिषदीय स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति शिक्षकों के लिए चुनौती बन गई है। एक पखवारे के भीतर स्कूलों में बच्चों की कम संख्या पर एक दर्जन से अधिक शिक्षक निलंबित किए जा चुके है। गांवों में बच्चे गेहूं की कटाई मड़ाई के कामों के चलते स्कूल की दहलीज पर कदम नहीं रख रहे है। मांगलिक कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए बच्चे परिवार के साथ जा रहे है। खामियाजा शिक्षकों को भुगतना पड़ रहा है।
शिक्षक घर-घर जाकर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए अभिभावकों का मनुहार करने के साथ जागरूक कर रहे हैं। उनके मनुहार व जागरूकता का कोई असर नहीं दिख रहा है। 15 दिन पूर्व डीहा गांव के स्कूल निरीक्षण के दौरान राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बेसिक शिक्षा अनुपमा जायसवाल ने बच्चों की कम संख्या देख नाराजगी जताई थी। साथ ही यह नसीहत दी थी कि शिक्षक स्कूल छोड़कर गांवों में जाकर अभिभावकों को बच्चों को स्कूल भेजने के लिए जागरूक करें। यह मुहिम शुरू तो हुई लेकिन इसका कोई असर स्कूलों में नहीं दिख रहा है।
कानवेंट कल्चर पर भी नहीं बदली तस्वीर
बेसिक शिक्षा विभाग में पिछले कुछ वर्षों में कानवेंट स्कूलों की तर्ज पर शैक्षिक सत्र जुलाई से बदलकर अप्रैल से शुरू कर दिया गया। स्कूलों में परीक्षा के बाद स्कूल में छुट्टी की मानसिकता अभी भी अभिभावकों और बच्चों के मन में बनी हुई है। इसका असर भी गांवों में भ्रमण के दौरान शिक्षकों को महसूस हो रहा है। बच्चे गर्मी के दिनों में नाना नानी के घर जा रहे है। इसके चलते भी स्कूलों में बच्चे कम दिखते है।
शिक्षक संघ ने जताई नाराजगी
उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला मंत्री विजय उपाध्याय ने बताया कि निलंबन से शैक्षिक कार्य प्रभावित होता है। कार्रवाई के लिए चेतावनी, प्रतिकूल प्रविष्टि व गंभीर दशा में आरोप पत्र जारी किया जा सकता है। बच्चों के कम होने पर निलंबन की कार्रवाई से पूर्व शिक्षक को भी अपना पक्ष रखने का अवसर मिलना चाहिए। एकतरफा कार्रवाई से शिक्षकों में अवसाद बढ़ रहा है। एकपक्षीय कार्रवाई से बचने के लिए डीएम बलरामपुर ने 19 अप्रैल को बीएसए को पत्र लिखा है। बलरामपुर की तरह यहां भी एकपक्षीय कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।
सोच में बदलाव लाए शिक्षक
बीएसए डॉ. अमरकांत ¨सह ने कहा कि स्कूलों में जब बच्चे रहेंगे तभी पठन पाठन सुचारू होगा। निलंबन की कार्रवाई द्वेष पूर्ण नहीं है। शिथिल और लापरवाह शिक्षकों का निलंबन किया गया है। स्कूलों में शिक्षण कार्य दुरुस्त हो इसके लिए शिक्षक सोच में बदलाव लाएं